कर्णप्रयाग(अंकित तिवारी): उत्तराखंड के औषधीय गुणों से युक्त पारंपरिक अनाजों और व्यंजनों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘गढ़भोज दिवस’ का आयोजन राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कर्णप्रयाग में हर्षोल्लास के साथ किया गया। इस विशेष अवसर पर राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री के जन्मदिवस को भी मनाया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत विभिन्न प्रतियोगिताओं और प्रदर्शनी से हुई। ‘उत्तराखंड के पारंपरिक व्यंजन’ विषय पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इसके साथ ही, छात्रों द्वारा तैयार किए गए पहाड़ी व्यंजनों की प्रदर्शनी भी लगाई गई। इसमें पारंपरिक अर्से, रोटन, मंडुवे की रोटी, झंगोरे की खीर, भांग की चटनी, गहद की दाल सहित कई स्वादिष्ट और पौष्टिक व्यंजन प्रस्तुत किए गए।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ वी.एन. खाली ने पारंपरिक व्यंजनों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह व्यंजन न केवल पौष्टिक हैं, बल्कि उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। डॉ बी.सी.एस. नेगी ने उत्तराखंड की खानपान संस्कृति पर विस्तार से चर्चा की, जबकि डॉ इंद्रेश पांडेय ने मिलेट्स (कुट्टू, मंडुवा आदि) पर व्याख्यान दिया, जिसमें उनके स्वास्थ्यवर्धक गुणों को रेखांकित किया गया।
कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ वी.आर. अंथवाल द्वारा किया गया और संयोजन डॉ अखिलेश कुकरेती ने किया। इस आयोजन में महाविद्यालय के कई प्राध्यापकों, जैसे डॉ हरीश रतूड़ी, डॉ नेतराम, डॉ हरीश बहुगुणा, डॉ कीर्तिराम सहित समस्त प्राध्यापक मौजूद रहे।जिन्होंने कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
‘गढ़भोज दिवस’ का यह आयोजन उत्तराखंड की पारंपरिक खानपान संस्कृति को संरक्षित करने और नई पीढ़ी को इससे परिचित कराने के उद्देश्य से अत्यंत सफल रहा।