ऋषिकेश
संस्कारशाला कार्यालय ऋषिकेश रविवार 27 अक्टूबर को हिंदी साहित्य भारती “अंतराष्ट्रीय” की काव्य गोष्ठी आचार्य सन्तोष व्यास की अध्यक्षता में संपन्न हुई। दीपावली से पूर्व संपन्न काव्य संगोष्ठी का शुभारंभ सन्तोष व्यास, श्रीमती सविता रतूड़ी “प्रेरक काव्य लेखिका”श्रीमती रश्मि पैन्यूली
(साहित्यकार)श्री वीरेन्द्र सेमवाल “अनंत”श्री विक्रम सिंह नेगी”कमल के द्वारा संयुक्त रूप से दीपक प्रज्वलन के साथ किया गया। तत्पश्चात सभी साहित्यकारों द्वारा मां शारदे के चित्र पर पुष्प अर्पण किया गया। आमंत्रित साहित्य प्रेमी कवि/कवियित्रियों के द्वारा अपनी -अपनी प्रस्तुतियां दीं गई। श्रीमती सविता रतूड़ी के द्वारा संस्कारों और मर्यादित जीवन शैली अपनाने पर जोर दिया गया। श्रीमती रश्मि पैन्यूली ने वीर भड़ माधो सिंह भंडारी और उनके पुत्र गजे सिंह के त्याग और बलिदान पर प्रकाश डाला। श्री वीरेन्द्र सेमवाल ने गांव की स्वस्थ जीवन शैली और स्वस्थ जीवन परंपरा पर सुंदर प्रस्तुति जबकि कवि विक्रम सिंह नेगी ने रटी रटाई परंपरा से हटकर कुछ विशेष करने की सलाह को अपनी कविता में प्रमुख स्थान दिया।
कार्यक्रम में अधिकाशं प्रस्तुतियां दीपावली और मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी के जीवन से संबंधित संस्कृत संस्कृति और संस्कार से ओतप्रोत थी। जो कि देवभूमि उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को परिरक्षित और परिवर्धित करने के लिए प्रेरणप्रद थी । व्यास ने बताया कि कवि का हृदय अत्यंत कोमल होता है वह जन सामान्य की पीड़ा को अपनी कलम के माध्यम से वृहद समाज के समक्ष रखकर उसे दूर करने के लिए समर्थवान सहृदयों को प्रेरित करता है। कवि की यही पीड़ा कलम के माध्यम से कविता और साहित्य के रुप में सृजित होती है।