केदारनाथ(अंकित तिवारी)- भैया दूज के पावन पर्व पर आज प्रातः 8:30 बजे विश्व प्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए विधिपूर्वक बंद कर दिए गए। कपाट बंदी की इस विशेष धार्मिक परंपरा में भारतीय सेना की बैंड धुनें और वैदिक मंत्रोच्चार से संपूर्ण वातावरण भक्तिमय हो उठा। हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में बाबा केदारनाथ की पंचमुखी उत्सव डोली का शुभारंभ हुआ, जो अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ की ओर प्रस्थान करेगी।
रविवार तड़के पांच बजे से बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय की उपस्थिति में कपाट बंदी की प्रक्रिया आरंभ हुई। भगवान केदारनाथ के स्वयंभू शिवलिंग का विधिवत समाधि पूजन सम्पन्न हुआ और भस्म व बेलपत्र से उसे समाधि रूप दिया गया। पंचमुखी डोली के मंदिर से बाहर लाने के बाद कपाट बंद कर दिए गए। इस अवसर पर बीकेटीसी अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन में केदारपुरी के भव्य पुनर्निर्माण और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कुशल निर्देशन में इस वर्ष की यात्रा संचालन की सराहना की।
इस यात्रा सत्र में रिकॉर्ड 16.5 लाख तीर्थ यात्रियों ने केदारनाथ धाम के दर्शन किए, जो देश के आध्यात्मिक पर्यटन में बढ़ती रुचि का प्रतीक है। यात्रा के सफल संचालन हेतु बीकेटीसी के कर्मचारियों, पुलिस-प्रशासन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी सहित अन्य सभी संबंधित विभागों का आभार व्यक्त किया गया।
कपाट बंद होने के साथ बाबा केदार की पंचमुखी डोली अब अपने मार्ग पर 3 नवंबर को रामपुर, 4 नवंबर को गुप्तकाशी में विश्राम करती हुई 5 नवंबर को ऊखीमठ स्थित श्री ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचेगी, जहां शीतकाल में बाबा केदार की पूजा-अर्चना संपन्न होगी।
कपाट बंद होने के अवसर पर बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय के अलावा स्वामी संबिदानंद महाराज, जिलाधिकारी डॉ. सौरव गहरवार, पुलिस अधीक्षक अक्षय प्रह्लाद कोंडे, केदारनाथ विकास प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह, मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल, सदस्य श्रीनिवास पोस्ती,भास्कर डिमरी, प्रभारी अधिकारी यदुवीर पुष्पवान, मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग, धर्माचार्य ओंकार शुक्ला, तीर्थ पुरोहितों की संस्था केदार सभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी,पूर्व अध्यक्ष विनोद शुक्ला, वेदपाठी स्वयंबर सेमवाल, डोली प्रभारी प्रदीप सेमवाल, ललित त्रिवेदी, देवानंद गैरोला अरविंद शुक्ला, कुलदीप धर्म्वाण, उमेश पोस्ती, प्रकाश जमलोकी, रविंद्र भट्ट आदि मौजूद रहे।
केदारनाथ धाम की दिव्यता और उसके आध्यात्मिक आकर्षण को निरंतर बनाए रखने के लिए की गई यह यात्रा, श्रद्धा और विश्वास के धरोहर के रूप में आने वाले समय में भी श्रद्धालुओं को प्रेरित करती रहेगी।