Breakingउत्तराखंडदेश-विदेशपर्यटनमनोरंजनयूथरोजगारशिक्षासामाजिक

मसूरी के केम्प्टी जलप्रपात पर भूविज्ञान छात्रों का शैक्षणिक भ्रमण: भू-परिस्थितिकी और भूस्खलन की संवेदनशीलता का किया अध्ययन

मसूरी(अंकित तिवारी):बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के भूविज्ञान विभाग के स्नातक अंतिम वर्ष (छठे सेमेस्टर) के छात्रों ने दिनांक 21 अप्रैल 2025 को उत्तराखण्ड के मसूरी स्थित प्रसिद्ध केम्प्टी जलप्रपात का शैक्षणिक भ्रमण किया। इस अध्ययन यात्रा का मुख्य उद्देश्य छात्रों को क्षेत्रीय भूविज्ञान, पारिस्थितिकी और भूस्खलन की प्रवृत्तियों के व्यावहारिक ज्ञान से अवगत कराना था।

इस अवसर पर विभाग के प्राध्यापक डॉ. सौरभ बर्मन और उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग में कार्यरत वरिष्ठ भूवैज्ञानिक श्री शिव राय ने छात्रों को केम्प्टी जलप्रपात के भूवैज्ञानिक और पारिस्थितिकीय पक्षों की गहराई से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि समुद्र तल से 1364 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह जलप्रपात मसूरी से 15 किलोमीटर की दूरी पर चकराता रोड पर स्थित है और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र है।

डॉ. बर्मन ने बताया कि मसूरी की पहाड़ियाँ भूवैज्ञानिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह क्षेत्र प्रोटेरोज़ोइक-कैम्ब्रियन काल की क्रोल बेल्ट चट्टानों से बना है, जो मुख्य सीमा थ्रस्ट (Main Boundary Thrust) के साथ सिवालिक समूह की तलछटी चट्टानों पर स्थित हैं। इसके अलावा जलवायु, मिट्टी और वनस्पति समुदायों के बीच संबंधों पर भी छात्रों को विशेष जानकारी दी गई।

केम्प्टी रेंज की ऊँचाई 800 से 1900 मीटर के बीच है और यहां पाए जाने वाले प्रमुख वनस्पति समुदायों में ओक (क्वेरकस ल्यूकोट्रिचोफोरा), पाइन (पिनस रोक्सबर्गी), शीशम (डालबर्गिया सिस्सू) तथा विविध वनस्पतियाँ शामिल हैं। भूवैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह पाया गया कि क्षेत्र की मूल चट्टानें, जैसे चूना पत्थर, क्वार्टजाइट, डोलोमाइट और स्लेट, वनस्पति वितरण को प्रभावित करती हैं।

इसके अतिरिक्त छात्रों को बताया गया कि यह क्षेत्र जलवायु परिवर्तन, अनियमित वर्षा और तीव्र ढलानों के कारण भूस्खलन के उच्च जोखिम वाला क्षेत्र है। 60 डिग्री से अधिक ढलान, खंडित चट्टानें तथा सतही कटाव इस खतरे को और बढ़ाते हैं। हाल ही में यहां कई भूस्खलन और अचानक बाढ़ की घटनाएं सामने आई हैं, जो क्षेत्र की संवेदनशीलता को दर्शाती हैं।

केम्प्टी जलप्रपात के आस-पास के जंगल जैव विविधता से भरपूर हैं। यहाँ विभिन्न पक्षी प्रजातियाँ जैसे सफ़ेद कलगीदार तीतर, अग्निपुच्छ सनबर्ड, व्हिसलिंग थ्रश, वाटर रेडस्टार्ट और नीली मैगपाई आदि पाई जाती हैं। इसके अलावा तेंदुए तथा विभिन्न तितलियाँ भी इस क्षेत्र की जैविक संपदा में शामिल हैं।

अध्ययन भ्रमण के दौरान छात्रों ने मसूरी की भौगोलिक बनावट, पारिस्थितिकी, तथा खतरों के प्रति जागरूकता प्राप्त की। भ्रमण के दौरान डॉ. वर्तिका शुक्ला ने छात्रों के विविध प्रश्नों के उत्तर देकर उनकी जिज्ञासा शांत की।

अंत में, छात्रों ने इस ज्ञानवर्धक और यादगार शैक्षणिक भ्रमण के आयोजन के लिए भूविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. नरेंद्र कुमार तथा अन्य शिक्षकों का आभार प्रकट किया।

यह अध्ययन भ्रमण छात्रों के लिए न केवल एक शैक्षणिक अनुभव रहा, बल्कि उन्होंने प्रकृति के संरक्षण और आपदाओं के प्रति जागरूकता की दिशा में भी गहन समझ प्राप्त की।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button