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आपदा की भेंट चढ़ गई पुरखों की धरोहर और खुद की कमाई : देवेंद्र मनवाल

देहरादून//थानों//सिंधवाल गांव

यूं तो उत्तराखंड में इस साल चारों ओर आपदा का कहर बरपा लेकिन राजधानी देहरादून के विकास खंड रायपुर की ग्राम पंचायत सिंधवाल गांव के सैबूवाला की कहानी कुछ अलग ही है।
16 सितम्बर को आई आपदा ने देवेंद्र मनवाल जी के परिवार के स्वप्न चकनाचूर कर दिए हैं। 12 कमरों का पुस्तैनी मकान टूट गया, 12 बीघा पुरखों की सिंचित भूमि नदी के आगोश में मिल गई। दो घराट बह गए,दस कुंतल अनाज रात के अंधेरे में नदी के बहाव में बह गया। दो दीवान, बिस्तर सहित रोजमर्रा की सभी सामग्री आंखों के सामने नदी बहाकर ले गई। रात दो बजे किसी तरह पशुओं को आंगन से खोलकर घर से कुछ दूरी पर बनी गौशाला में सुरक्षित ले जाया गया। खुद भी तब से गौशाला में ही रहना हो रहा है।


कल 6 अक्टूबर को मैं क्षेत्र पंचायत सदस्य श्री जगमोहन सिंह पुंडीर जी और पूर्व ग्राम प्रधान सिंधवाल गांव श्री प्रदीप सिंधवाल जी के साथ आपदा पीड़ित परिवार तक पहुंचा तो देखा कि इस परिवार के मुखिया देवेंद्र मनवाल जी की दो दशक पहले हुई शादी की एलबम रास्ते में बिखरी पड़ी थीं, कुर्सी भोगपुर पुल के पास पड़ी थी……….रैठवान गांव का पुल बहकर सैबूवाला पहुंच गया है और सैबूवाला का पुल भी अपना अस्तित्व नहीं बचा सका, झाद में राम सिंह जी की दुकान में मलवा भर गया है।


देवेंद्र मनवाल जी ने बताया कि दादा जी के जमाने से बना ये मकान सदा सुरक्षित रहा है क्योंकि मकान के पीछे चट्टान थी, लेकिन सोलह सितंबर की रात को घर के पीछे झील बन गई थी और जब वह झील टूटी तो हमारे सारे स्वप्न और पुरखों की धरोहर भी सदा के लिए आंखों से ओझल हो गई।
आपदा के बाद इस परिवार का पड़ोसी गांव से संपर्क टूट गया। एस डी आर एफ की टीम ने ड्रोन कैमरे की मदद से इस परिवार की स्थिति का जायजा लिया। आपदा प्रबंधन टीम भी इस परिवार तक नहीं पहुंच पाई। दूरभाष से आपदा प्रबंधन टीम ने इस परिवार से संपर्क साधा और इस परिवार को अन्यत्र शिफ्ट करने के लिए कहा लेकिन देवेंद्र मनवाल जी ने पशुओं को छोड़कर अन्यत्र जाने से साफ मना कर दिया। देवेंद्र मनवाल जी ने कहा कि उनकी भैंस और बैल का क्या होगा। संकट की इस घड़ी में मैं और मेरा परिवार तो सुरक्षित जगह चले जायेंगे लेकिन इन बेजुबान जानवरों का क्या होगा। पशुप्रेमी इस परिवार को सैल्यूट।

देवेंद्र मनवाल जी खेती और पशुपालन से अपनी आजीविका चलाते हैं। आज जब गांव के गांव मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण लगातार खाली हो रहे हैं तब भी देवेंद्र मनवाल जी ने पलायन नहीं किया है।
देवेंद्र मनवाल जी और सनगांव, सिंधवाल गांव के वर्तमान और पूर्व जनप्रतिनिधियों तथा ग्रामीणों ने इस मनवाल परिवार का संपर्क पड़ोसी गांव से जोड़ने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था बनाई है जो कि अस्थाई है। आपदा के बाद सबसे पहले इस परिवार के लोग रानीपोखरी से विषम परिस्थितियों में यहां पहुंचे। उसके बाद स्थानीय पूर्व एवं वर्तमान जनप्रतिनिधि इस परिवार तक पहुंचे। क्षेत्र पंचायत सदस्य सिंधवाल गांव जगमोहन सिंह पुंडीर, पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य अतुल सिंह पुंडीर, पूर्व ग्राम प्रधान सिंधवालगांव प्रदीप सिंधवाल, सनगांव से सामाजिक कार्यकर्ता पुनीत रावत सहित स्थानीय लोगों ने इस परिवार तक पहुंच कर ग्रामीणों को ढांढस बंधाया और हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया। जिला पंचायत सदस्य मीना मनवाल, भाजपा मंडल अध्यक्ष रानीपोखरी गीतांजलि रावत और उनकी टीम भी इस क्षेत्र तक पहुंची। क्षेत्रीय विद्यायक बृजभूषण गैरोला जी भी सिल्ला चौकी तक आकर क्षेत्र की समस्या से रूबरू हो चुके हैं। तीन दिन पहले क्षेत्र के पटवारी जी एक लाख बीस हजार रुपए की सहायता राशि का चेक लेकर मनवाल परिवार तक पहुंचे। स्थानीय प्रशासन की ओर से पटवारी जी ने पीड़ित परिवार को जल्दी ही और अधिक आर्थिक सहायता का आश्वासन दिया है।
मनवाल परिवार ने बताया कि वे चाहते हैं कि जिला प्रशासन की ओर से जिम्मेदार अधिकारी यहां आकर वस्तुस्थिति का अवलोकन करें और हमें सुरक्षित स्थान पर भूमि उपलब्ध कराने का प्रयास करें ताकि भविष्य की आशंका से राहत मिल सकें।
क्षेत्र पंचायत सदस्य सिंधवाल गांव श्री जगमोहन सिंह पुंडीर जी ने पीड़ित परिवार को आश्वस्त किया कि प्रशासन के माध्यम से हर संभव सहयोग प्रदान कराने के लिए वे प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि आठ अक्टूबर को क्षेत्र पंचायत समिति रायपुर की बैठक में वे इस मुद्दे को गंभीरता से उठाएंगे और समाधान का प्रयास करेंगे।
ग्राम पंचायत सिंधवाल गांव के पूर्व प्रधान *श्री प्रदीप सिंधवाल ने कहा कि तहसील प्रशासन से मनवाल परिवार के समुचित पुनर्वास के संबंध में लगातार संपर्क किया जा रहा है और जल्दी ही देवेंद्र मनवाल जी के परिवार को अन्यत्र सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया जाएगा।
सिल्ला चौकी, झाद, सहित इस पूरे क्षेत्र में आपदा से बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है। *सड़कें अपना अस्तित्व खो बैठी हैं। ग्रामीणों की कृषि भूमि बह गई है। आवास खतरे की जद में आ गए हैं।
स्थानीय निवासियों की मांग है कि शासन प्रशासन जल्दी से जल्दी क्षेत्र में आकर हालात का जायजा ले और आवश्यक कदम उठाए। आपदा आए एक महीना होने को है लेकिन अभी तक शासन प्रशासन की ओर से कोई जिम्मेदारी उच्च अधिकारी राजधानी देहरादून के इस निकटवर्ती गांव तक नहीं पहुंचे हैं; इससे ग्रामीणों में रोष है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब आपदा के समय भी राजधानी के निकटवर्ती क्षेत्रों तक अधिकारी नहीं पहुंच पा रहे हैं तो दूरदराज के क्षेत्रों की क्या स्थिति होती होगी।

……. जगदीश ग्रामीण

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