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चतुर्थ श्री रामलीला महोत्सव में कुंभकर्ण वध, मेघनाथ वध और सुलोचना सती की लीलाओं का हुआ भव्य मंचन

रायवाला(अंकित तिवारी): प्राथमिक विद्यालय, श्री रामलीला चौक, वार्ड नंबर 06, प्रतीत नगर गांव रायवाला में आयोजित हो रहे चतुर्थ श्री रामलीला महोत्सव में बुधवार को तीन प्रमुख घटनाओं का मंचन किया गया, जिससे दर्शकों को रामायण के महाकाव्य से गहरे तौर पर जुड़ने का अवसर मिला। इन लीलाओं में शामिल थे – कुंभकर्ण वध, मेघनाथ वध, और सुलोचना सती की मार्मिक कथा।

प्रमुख लीलाओं का विवरण:

1. कुंभकर्ण वध
लक्ष्मण जी के स्वस्थ होने के बाद युद्ध का पुनः आरंभ हुआ। रावण ने अपनी सेना में शामिल दुर्मुख, देवांतक, अतिकाय, और अकंपन को युद्ध भूमि में भेजा, जिनका वध भगवान राम और उनकी सेना ने किया। इसके बाद रावण ने कुंभकर्ण को नींद से जगवाया। युद्ध भूमि पर पहुंचने के बाद, श्रीराम ने कुंभकर्ण का वध कर दिया।

2. मेघनाथ वध
मेघनाथ ने अजेय होने के लिए यज्ञ प्रारंभ किया। विभीषण ने श्रीराम को सलाह दी कि यदि यज्ञ सिद्ध हो गया तो मेघनाथ को कोई भी पराजित नहीं कर सकेगा। लक्ष्मण जी ने यज्ञ का विध्वंस कर दिया और फिर मेघनाथ का वध कर दिया।

3. सुलोचना सती लीला
मेघनाथ की पत्नी सुलोचना का सती होना दर्शकों के दिलों को छू गया। श्रीराम ने उसकी प्रार्थना स्वीकार की, और सुलोचना ने पति का सिर लेकर चिता पर बैठकर अग्नि में सती हो गई। यह दृश्य उपस्थित दर्शकों के लिए बेहद भावुक और मार्मिक था।

कार्यक्रम के अंत में लोक कल्याण समिति, प्रतीतनगर, रायवाला रजिस्टर्ड द्वारा विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों के प्रमुखों को राम दरबार की माला एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। सम्मानित अतिथियों में रुचि कैंतुरा, पूर्व ब्लॉक प्रमुख दुगड्डा, अर्द्ध सैनिक पूर्व सैनिक संगठन, और अन्य प्रमुख व्यक्ति शामिल थे।

इस आयोजन में कलाकारों ने अपनी बेहतरीन अभिनय कला से रामायण के दृश्यों को जीवंत कर दिया। मुख्य पात्रों में श्रीराम – सौरभ चमोली, लक्ष्मण – जयंत गौस्वामी, हनुमान – आशीष सेमवाल, जामवंत- आयुष जोशी, रावण- सचिन गौड़, विभीषण- राजेन्द्र रतुड़ी, कुंभकर्ण- रमेश जोशी, मेघनाथ – सूरज चमोली, और सुलोचना- राहुल प्यारे ने दर्शकों के दिलों में विशेष छाप छोड़ी।

कार्यक्रम की सफलता में लोक कल्याण समिति के अध्यक्ष गंगाधर गौड़, उपाध्यक्ष बालेन्द्र सिंह नेगी, सचिव नरेश थपलियाल, और अन्य सदस्य महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इस भव्य महोत्सव का आयोजन रामभक्तों के लिए एक अद्भुत अनुभव साबित हुआ, जिसमें कला, संस्कृति और धार्मिकता का एक अनुपम संगम देखने को मिला।

 

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