ऋषिकेश: दीपावली, भारतीय संस्कृति का अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जो अंधकार से प्रकाश की ओर और बुराई से अच्छाई की ओर जाने का प्रतीक है। इस पर्व के दौरान दीप जलाना एक सदियों पुरानी परंपरा है, जो हर घर को उजागर करती है और वातावरण में उल्लास और खुशी का संचार करती है। बाजारों में बत्तियाँ, सजावट, मिठाइयाँ और अन्य सामानों से रौनक छाई होती है, लेकिन आजकल की दीपावली का उत्सव पर्यावरण के दृष्टिकोण से कहीं न कहीं प्रदूषण और अपशिष्ट का कारण बनता जा रहा है। खासकर, जब हम इलेक्ट्रॉनिक दीपों और प्लास्टिक के सामानों का उपयोग बढ़ाते हैं, तो यह न केवल पर्यावरण के लिए, बल्कि हमारी आगामी पीढ़ियों के लिए भी एक चिंता का विषय बन जाता है।
मिट्टी के दीपक – एक पारंपरिक विकल्प
पूर्व विश्वविद्यालय प्रतिनिधि अंकित तिवारी कहते हैं कि दीपावली पर विशेष रूप से मिट्टी के दीपक जलाना एक प्राचीन और स्वस्थ परंपरा रही है। मिट्टी के दीपक न केवल प्राकृतिक और पर्यावरण के अनुकूल होते हैं, बल्कि इनकी सुंदरता और ऐतिहासिकता भी विशेष होती है। इन दीपकों का निर्माण मिट्टी से किया जाता है, जो आसानी से नष्ट हो जाती है और पर्यावरण में कोई प्रदूषण नहीं छोड़ती। इसके अलावा, ये दीपक किसी भी रासायनिक सामग्री से मुक्त होते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य और वातावरण के लिए हानिकारक हो सकती है।
पर्यावरणीय लाभ और सामाजिक संदेश
तिवारी कहते है कि मिट्टी के दीपक का प्रयोग हमारे समाज को पर्यावरणीय चेतना का महत्वपूर्ण संदेश देता है। यह हमें याद दिलाता है कि हमें अपनी पुरानी परंपराओं को न केवल संरक्षित रखना चाहिए, बल्कि उनका पर्यावरण के अनुकूल रूप में पुनः उपयोग भी करना चाहिए। इन दीपों का उपयोग करते हुए हम प्रदूषण को कम करने में योगदान दे सकते हैं, साथ ही यह कदम हमें समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से भी जोड़ता है।
आजकल के वाणिज्यिक बाजार में जहां प्लास्टिक और अन्य कृत्रिम वस्तुएं हावी हो गई हैं, वहां मिट्टी के दीपक हमें एक स्थिरता और प्राकृतिकता की ओर ले जाते हैं। इन दीपकों का निर्माण स्थानीय कारीगरों द्वारा होता है, जो हमारे समाज के आर्थिक विकास में भी योगदान देते हैं।
दीपावली का पर्व एक संपूर्ण उत्सव है, जो अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक है, लेकिन इस जश्न में यदि हम पर्यावरण का ध्यान रखें, तो यह और भी सुंदर बन सकता है। बाजारों में विभिन्न प्रकार के दीपकों की भरमार है, लेकिन हमें यह समझने की आवश्यकता है कि प्लास्टिक और इलेक्ट्रॉनिक दीपकों के उपयोग से हम प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसके स्थान पर मिट्टी के दीपक का उपयोग एक सरल, प्रभावी और पर्यावरणीय दृष्टि से उपयुक्त विकल्प हो सकता है। इसलिए इस दीपावली, चलिए हम सब मिलकर मिट्टी के दीपकों के साथ दीपावली मनाएं और एक स्वच्छ, हरित और समृद्ध भविष्य की ओर कदम बढ़ाएं।