– अंकित तिवारी
संविधान दिवस, जिसे हम 26 नवंबर को मनाते हैं, भारत के लोकतांत्रिक संस्थाओं और संवैधानिक मूल्यों की धरोहर को समर्पित एक ऐतिहासिक अवसर है। इस दिन भारतीय संविधान की प्रभावी शुरुआत के साथ, हम न केवल अपने लोकतंत्र की संरचना का सम्मान करते हैं, बल्कि इसके द्वारा प्रदत्त अधिकारों और कर्तव्यों का भी पुनः स्मरण करते हैं।
इस वर्ष संविधान दिवस पर रेत कला के प्रसिद्ध कलाकार, श्री सुदर्शन पटनायक ने अपनी अद्भुत कला के माध्यम से भारतीय संविधान के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित की। ओडिशा के पुरी समुद्र तट पर सुदर्शन पटनायक ने अपनी रेत कला का प्रदर्शन करते हुए भारत की संप्रभुता, संवैधानिक मूल्यों और राष्ट्रीय गौरव को चित्रित किया।
रेत पर बने उनके चित्रों ने यह संदेश दिया कि संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि यह हमारे समाज की बुनियाद और हमारे साझा नागरिकता के मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है। पटनायक की कला में संविधान के विभिन्न पहलुओं, जैसे स्वतंत्रता, समानता, और न्याय की भावना, प्रमुखता से दिखाई दी। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी दर्शाया कि संविधान देश की विविधताओं के बीच एकता की प्रतीक है, जो भारत को एक सशक्त और समृद्ध राष्ट्र बनाने में सहायक है।
सुदर्शन पटनायक का यह कला रूप न केवल हमारे संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों की महत्वपूर्ण याद दिलाता है, बल्कि यह यह भी साबित करता है कि कला का कोई भी रूप, चाहे वह रेत हो, कागज हो या रंग, समाज को जागरूक करने और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
संविधान दिवस पर इस अद्भुत प्रदर्शनी ने हम सभी को यह समझने का अवसर दिया कि भारतीय संविधान हमारी विविधता में एकता और हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली के मूल्य को संरक्षित करता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हम सभी को मिलकर अपने संविधान को सम्मानित और उसका पालन करते हुए राष्ट्र की प्रगति की दिशा में योगदान देना चाहिए।
सुदर्शन पटनायक की रेत कला के माध्यम से संविधान के प्रति यह सम्मान केवल एक दृश्य प्रदर्शनी नहीं, बल्कि हमारे संवैधानिक दायित्वों को आत्मसात करने का एक प्रेरणादायक प्रयास है।




