कर्णप्रयाग(अंकित तिवारी): डा. शिवानंद नौटियाल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कर्णप्रयाग में उच्च शिक्षा व्याख्यानमाला के तहत एक शानदार कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें उत्तराखंड की समृद्ध काष्ठकला पर विशेष रूप से चर्चा की गई। यह कार्यक्रम महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. राम अवतार सिंह के उद्घाटन भाषण से प्रारंभ हुआ, जिन्होंने इस सांस्कृतिक धरोहर की महत्ता को उजागर किया।
इस श्रृंखला का तीसरा व्याख्यान डॉ. वेणीराम अंथवाल द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिनका विषय था—”उत्तराखंड के लोक जीवन में काष्ठ शिल्प की समृद्ध परंपरा”। इस विषय पर विस्तृत जानकारी देते हुए डा. अंथवाल ने काष्ठकला की विविधतापूर्ण तकनीकों और उनके सांस्कृतिक संदर्भों को साझा किया। उन्होंने विशेष रूप से काष्ठ शिल्प में प्रयुक्त होने वाली विभिन्न वनस्पतियों, उनकी पहचान, और काष्ठकला में उनके योगदान पर चर्चा की। इसके अलावा, उन्होंने काष्ठकला के ज्यामितीय, वानस्पतिक और पशु-पक्षी प्रतीकों के गहरे अर्थ को भी समझाया, जो इस कला के विशिष्टता को और भी अधिक आकर्षक बनाते हैं।
कार्यक्रम के अंत में, छात्रों और शिक्षकों ने डा. अंथवाल से कई सवाल किए, जिनका उन्होंने विस्तार से उत्तर दिया। उनका यह संवाद सत्र कार्यक्रम को और भी ज्ञानवर्धक बना गया।
इस विशेष कार्यक्रम का संचालन डा. इंद्रेश कुमार पाण्डेय ने किया। ऑनलाइन मोड में आयोजित इस व्याख्यान में कर्णप्रयाग महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक और छात्रों के साथ-साथ अन्य महाविद्यालयों के शिक्षकों और छात्रों ने भी भाग लिया।
उत्तराखंड की काष्ठकला के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को समझने के इस अवसर ने सभी को प्रेरित किया, और काष्ठ शिल्प के प्रति एक नई जागरूकता और सम्मान उत्पन्न किया।




