कर्णप्रयाग(अंकित तिवारी) : राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कर्णप्रयाग में उच्च शिक्षा व्याख्यानमाला का चौथा व्याख्यान आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. राम अवतार सिंह के उद्बोधन से प्रारंभ हुआ। इस व्याख्यानमाला में डा. श्वेता सिंह, राजकीय महाविद्यालय चुड़ियाला द्वारा ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं उत्तराखंड में उसका कार्यान्वयन’ विषय पर व्याख्यान दिया गया।
डा. श्वेता सिंह ने अपने व्याख्यान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि इस नीति में भारतीय शिक्षा प्रणाली की रीति-नीति को पुनः स्थापित करने का प्रयास किया गया है, जो भारतीय संस्कृति, मूल्य और ज्ञान परंपरा को महत्त्व देता है। इसके साथ ही, उन्होंने बताया कि नीति का उद्देश्य शिक्षा में समानता और समग्रता को बढ़ावा देना है, ताकि सभी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण और समावेशी शिक्षा मिल सके।
डा. सिंह ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला, जिसमें विद्यालयी शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक के सुधार, डिजिटल शिक्षा का महत्व, कौशल आधारित शिक्षा, और अध्यापकों की भूमिका का विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने उत्तराखंड में इस नीति के कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों और उपलब्धियों का विश्लेषण भी किया। राज्य की भौगोलिक और सांस्कृतिक विशेषताएँ, शैक्षिक ढांचा और संसाधन उपलब्धता की बाधाएं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सफल कार्यान्वयन में प्रमुख कारक बनी हुई हैं।
उन्होंने उत्तराखंड में शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए आवश्यक कदमों का सुझाव दिया, जैसे कि डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देना, प्राथमिक विद्यालयों में गुणवत्ता सुधार, और उच्च शिक्षा संस्थानों में शोध और नवाचार को प्रोत्साहित करना।
व्याख्यान के अंत में, डा. श्वेता सिंह ने उपस्थित छात्रों और शिक्षकों के प्रश्नों का उत्तर भी दिया, जिससे नीति के कार्यान्वयन के विभिन्न पहलुओं को और स्पष्ट किया गया।
कार्यक्रम का संचालन डा. इंद्रेश कुमार पाण्डेय ने किया। ऑनलाइन मोड में हो रहे इस व्याख्यान में कर्णप्रयाग महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकों सहित अन्य महाविद्यालयों से भी अनेक प्राध्यापक और छात्र जुड़े। इस व्याख्यान ने शिक्षा के क्षेत्र में नई दिशा और दृष्टिकोण को समझने का एक सुनहरा अवसर प्रदान किया और सभी को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित किया।





