ऋषिकेश(एम्स ऋषिकेश): एम्स, ऋषिकेश में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन नर्सिंग एजुकेशन एंड रिसर्च द्वारा आयोजित एक महत्वपूर्ण छह दिवसीय सेमीनार का उद्घाटन हुआ। इस सेमीनार का आयोजन इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च और जापान सोसाइटी फॉर प्रमोशन ऑफ साइंस के सहयोग से किया गया है, जिसमें भारत में बच्चों में बढ़ते कुपोषण के मामलों में सुधार को लेकर विशेषज्ञ चिंतन-मंथन करेंगे।
कार्यक्रम का शुभारंभ एम्स के मिनी ऑडिटोरियम में हुआ, जिसमें प्रमुख अतिथियों के रूप में प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह (कार्यकारी निदेशक, एम्स ऋषिकेश), प्रोफेसर डॉ. जया चतुर्वेदी (संकायाध्यक्ष अकादमिक), और प्रोफेसर डॉ. सत्यश्री बालिजा (मेडिकल सुपरिंटेंडेंट) ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. स्मृति अरोड़ा (प्रिंसिपल, CENER) और डॉ. टोमोको कोमागाटा (एसोसिएट प्रोफेसर, TWMU, टोक्यो, जापान) ने की।
इस अवसर पर कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों से कुपोषण की पहचान और प्रबंधन में मौजूद अंतरालों पर चर्चा की। उन्होंने प्रशिक्षण पहल की सराहना करते हुए भविष्य में ऐसे कार्यक्रमों को संस्थागत स्तर पर निरंतर समर्थन देने का आश्वासन दिया।
कार्यक्रम के दौरान डीन अकादमिक प्रो. जया चतुर्वेदी ने बताया कि कुपोषण में कई तरह की सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं योगदान देती हैं, जैसे पोषण संबंधी व्यवहार, स्वच्छता की कमी और लैंगिक असंतुलन।
इस सेमिनार में उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों से करीब 37 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों ने भाग लिया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथियों ने सभी विशेषज्ञों को स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया।
प्रो. स्मृति अरोड़ा ने बताया कि यह कार्यशाला दो साल पहले डॉ. टोमोको से हुई पहली मुलाकात का परिणाम है। उन्होंने सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों की भूमिका पर जोर देते हुए उत्तराखंड में कुपोषण से निपटने के उपायों पर भी चर्चा की।
कार्यक्रम में डॉ. टोमोको ने कुपोषण को एक गंभीर चुनौती बताया, जो भारत की तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था के बावजूद बना हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करके कुपोषण से संबंधित मृत्यु दर को कम किया जा सकता है।
आयोजन सचिव ने सभी विशेषज्ञों, अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं, संकाय सदस्यों और प्रतिभागियों का धन्यवाद किया। इस अवसर पर सीएनओ डॉक्टर अनीता रानी कंसल भी मौजूद रहीं।
कार्यशाला के दौरान कई क्रियात्मक गतिविधियाँ जैसे भूमिका-नाटक, पास द बॉल गेम और क्विज़ आयोजित किए गए। साथ ही सिद्धांत आधारित व्याख्यानों और व्यावहारिक प्रशिक्षण सत्रों का भी आयोजन किया गया, जिनका उद्देश्य सामुदायिक पोषण कार्यक्रमों को सुदृढ़ बनाना था।
कार्यशाला में प्राचार्य प्रो. स्मृति अरोड़ा ने “कुपोषण क्या है? और यह हमारे क्षेत्र में क्यों महत्त्वपूर्ण है?” विषय पर व्याख्यान दिया, जिसमें कुपोषण के प्रकारों पर विस्तार से चर्चा की गई। अन्य विशेषज्ञों ने भी कुपोषण से जुड़े विभिन्न बिंदुओं पर प्रकाश डाला।
यह कार्यशाला कुपोषण के खिलाफ प्रभावी कार्यों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है, जो भारतीय समुदायों में बेहतर स्वास्थ्य के निर्माण की दिशा में एक मील का पत्थर बनेगी।








