कहते हैं कि हीरे की पहचान जौहरी को ही होती है। वसंतोत्सव 2023 में राजभवन में हमारी मुलाकात “श्रीमती पूनम कुमारी जी” से हुई। स्टाल पर पत्थरों को विभिन्न रंगों से सजाया गया था। पत्थर में मानो परमेश्वर का दर्शन हो रहा था। पूनम कुमारी जी ने बताया कि वह अपने पति के साथ उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों पर भ्रमण करती हैं और नदी तटों से विभिन्न आकृति के पत्थरों को चुन – चुन कर लाती हैं। उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों की नदियों के तटों से लाए हुए पत्थरों को अपने सहकर्मियों के साथ मिलकर वह उन्हें नया आयाम देती हैं, नया रंग, नया रूप प्रदान करती हैं।
पूनम कुमारी जी पिछले कई वर्षों से इस कार्य में लगी हुई है। यह उनकी आर्थिकी का साधन भी बन गया है। अपने घरों की सजावट के लिए लोग उनके द्वारा सजाए गए इन रंगीन पत्थरों को बड़े शौक से खरीदते हैं। वास्तव में व्यापार करने के लिए अथवा स्वरोजगार करने के लिए यदि हमारे मन में नए विचार हैं, नई सोच है और कुछ करने का जज्बा है तो धन आड़े नहीं आता है। पूनम कुमारी जी बताती हैं कि हम स्थान – स्थान पर घूमते हैं; और बिना धन लगाए अपना स्वरोजगार कर रहे हैं। अच्छी आय हो रही है। पत्थरों में पूनम कुमारी जी को मानो परमेश्वर मिल गया हो। इन रंगीन पत्थरों के माध्यम से पूनम कुमारी जी बहुत अच्छा और प्रेरणादायी संदेश युवा पीढ़ी को भी दे रही हैं कि किसी भी काम को अगर मन लगाकर नई सोच के साथ किया जाए तो यह हमारी आर्थिकी का बहुत अच्छा माध्यम बन सकता है। पूनम कुमारी जी कहती हैं कि इस व्यवसाय में हमें कोई लागत नहीं लगानी पड़ती है। हां परिश्रम करना पड़ता है, घूमना फिरना पड़ता है। घूम गश्त के साथ ही साथ स्वरोजगार से लाभ भी मिल रहा है। शुभकामनाएं पूनम कुमारी जी।