“देहरादून”
उत्तराखंड के पहाड़ी व्यंजनों की खुशबू सबको अपनी ओर आकर्षित कर रही है। उत्तराखंड के शहरी क्षेत्रों में भी आजकल जगह जगह पहाड़ी व्यंजनों की दुकानें खुल गई हैं और लोग पहाड़ी व्यंजनों का स्वाद ले रहे हैं।
राजभवन देहरादून में पुष्प प्रदर्शनी में पहाड़ी व्यंजनों के भी बहुत सारे स्टाल लगे हुए थे। ऐसे ही एक स्टाल पर हम पहुंचे। स्टाल का शीर्षक “उत्तराखंड की पहाड़ी रसोई” सबको अपनी ओर आकर्षित कर रहा था। प्रसन्नता की बात यह है कि इस स्टाल पर मंडुवे से निर्मित बहुत सारे व्यंजन परोसे जा रहे थे। मंडुए के बिस्कुट, नमकीन, बर्फी, लड्डू, मोमोज, स्प्रिंग रोल का स्वाद लेने के लिए ग्राहकों की भीड़ लगी हुई थी। हमने इस स्टाल की स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से बातचीत की।
गायत्री देवी जी ने बताया कि राजभवन की इस पुष्प प्रदर्शनी में सभी स्टाल फ्री ऑफ कॉस्ट लगाने की अनुमति शासन द्वारा दी गई थी। हमने भी उसी का लाभ उठाया और अच्छी संख्या में ग्राहक आ रहे हैं। गायत्री देवी जी ने बताया कि सहस्त्रधारा रोड पर आईटी पार्क के समीप “उत्तराखंड की पहाड़ी रसोई” में अरसे, रोट सहित विभिन्न पहाड़ी व्यंजन उपलब्ध रहेंगे। उन्होंने बताया कि बुरांस और कंडाली की चाय का स्वाद भी हमारी पहाड़ी रसोई पर ग्राहकों को उपलब्ध होगा। गायत्री देवी जी ने बताया कि हमारे स्टाल पर खूब भीड़ हो रही है और ग्राहक अपनी मनपसंद के व्यंजनों का आनंद ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि मंडुवे की बर्फी और मंडुवे के गोलगप्पे ग्राहकों द्वारा बहुत पसंद किए जा रहे हैं। गायत्री देवी जी ने बताया कि हम सभी महिलाएं मिलजुल कर स्वयं सहायता समूह के माध्यम से यह कार्य कर रही हैं। गायत्री देवी जी उत्तराखंड आंदोलन के दिनों लगाए जाने वाले नारे “मंडवा – झंगोरा खाएंगे उत्तराखंड बनाएंगे” का उदाहरण देते हुए कहती हैं कि अब हमारा अलग उत्तराखंड राज्य बन गया है तो अब हमारी भी जिम्मेदारी है कि हम इन पहाड़ी व्यंजनों को पूरे उत्तराखंड और उत्तराखंड से बाहर भी पहुंचाएं। पहाड़ के प्रति हम सबका भी ऐसा ही प्रेम बना रहे। शुभकामनाएं गायत्री देवी जी।