“देहरादून”
उत्तराखंड की प्रमुख बोलियो के लिए केदारखंडी लिपि के रचनाकार सेवानिवृत्त अध्यापक एवम साहित्यकार हर्षपति रयाल ने आज उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिलकर केदारखण्डी लिपि को शासन द्वारा अनुमोदित एवम स्वीकृति प्रदान करने हेतु आग्रह करते हुए कहा कि सम्पूर्ण भारत में सभी प्रमुख बोलियो के प्रचलन हेतु स्वयं की लिपि है, जिस कारण उन बोलियो को भाषा का स्वरूप प्राप्त है। परन्तु गढ़वाली , कुमाऊंनी, जौनसारी का अपना – अपना समृद्ध साहित्य प्रकाशित हुआ है। यह सब साहित्य देवनागरी लिपि में है, जिस कारण अनेक शब्दों का देवनागरी लिपि में लिखा हुआ अर्थ और हमारी स्थानीय बोलियो में बोले जाने वाले शब्दों में बहुत ही भिन्नता है। इसलिए शासन को उत्तराखंड की तीनों बोलियो के लिए केदारखंडी भाषा को मान्यता देने हेतु उत्तरांचली लिपि को यथा शीघ्र स्वीकृति प्रदान की जाए।
इस अवसर पर रिवर्स माइग्रेशन के लिए समर्पित संस्था “पुनरुत्थान रूलर डेवलपमेंट एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी” के अध्यक्ष ज्योति प्रसाद, सचिव रजनीश उनियाल, कोषाध्यक्ष विकास सिंह राणा तथा मनोज रयाल भी उपस्थित रहे।