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विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 पर विशेष संपादकीय: “मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार”

विश्व स्वास्थ्य दिवस पर एम्स ऋषिकेश के सह आचार्य डॉ अमित सहरावत से हुई बातचीत के आधार पर अंकित तिवारी की विशेष प्रस्तुति

*विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 पर विशेष संपादकीय: “मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार”*
(विश्व स्वास्थ्य दिवस पर एम्स ऋषिकेश के सह आचार्य डॉ अमित सहरावत से हुई बातचीत के आधार पर अंकित तिवारी की विशेष प्रस्तुति)

*ऋषिकेश(अंकित तिवारी)-* भारत एक विविध और बड़ी आबादी वाला देश है, जिसमें विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं हैं। इन समस्याओं का समाधान तक पहुंचने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है क्लीनिकल ट्रायल्स। क्लीनिकल ट्रायल्स के माध्यम से नई दवाओं, उपचारों और तकनीकियों का परीक्षण किया जाता है, जो भारतीय लोगों को लाभ पहुंचा सकता है।

क्लीनिकल ट्रायल्स के लिए अधिक स्थानीय और भारतीय वैज्ञानिकों, चिकित्सकों, और स्वास्थ्य संगठनों को शामिल किया जाना चाहिए। इससे संभावित समस्याओं और जीवन शैली के विभिन्न पहलुओं का समग्र विचार हो सकता है, जैसे कि भोजन, वातावरण, और आर्थिक स्थिति।

भारत में चल रहे क्लीनिकल ट्रायल्स भारतीय लोगों को उनकी आवश्यकताओं और संदेशों के अनुसार तकनीकियों को विकसित करते हैं, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए महत्वपूर्ण हैं। जो स्वास्थ्य लाभकारी प्रणालियों को समृद्ध करने में मदद कर सकता है।

भारत में चल रहे क्लीनिकल ट्रायल्स का प्रमुख लक्ष्य भारतीय लोगों को उनकी स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान प्रदान करना है, जबकि साथ ही उन्हें उत्पादन से जुड़े संबंधों का लाभ उठाने में मदद करते हैं। इस प्रकार, भारतीय प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य सेवाओं की विकास को समर्थन किया जा सकता है, जिससे देश की सामाजिक और आर्थिक उन्नति हो सके।

विश्व स्वास्थ संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार कैंसर दुनियाभर में मौत का एक प्रमुख कारण है। कैंसर के मरीजों की मृत्यु का एक महत्वपूर्ण वजह कारगर व सस्ते उपचार की कमी है। भारत जैसे विकासशील देशों में हृदय समस्या, रोड ट्रैफिक समस्या के बाद कैंसर की समस्या एक बहुत बड़ी समस्या है। विशेषज्ञों का कहना है कि क्लीनिकल ट्रायल द्वारा भारत सहित अन्य देशों में कैंसर के निदान और उपचार की लागत को कम करने में मदद कर सकता है।कैंसर चिकित्सा विभाग के सह आचार्य डॉ अमित सहरावत ने बताया कि देश ने पिछले कई दशकों में विकास किया है, लेकिन इसी के साथ- साथ देखा गया है कि इलाज पर आने वाले अधिक खर्च के चलते आमजन उपचार कराने में सक्षम नहीं होते। लिहाजा ऐसी स्थिति में क्लीनिकल ट्रायल द्वारा कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का निदान किया जा सकता है।भारत तथा अन्य विकाशील देशों में कैंसर के इलाज व निदान संबंधित समस्याएं विकसित देशों के मुकाबले कहीं ज्यादा है। इलाज से जुड़ा खर्च संभवत का सबसे बड़ा कारण है जिसकी वजह से यहां पर कैंसर संबंधित मृत्यु दर ज्यादा है । बायोसिमिलर तथा जेनेटिक दवाएं इस समस्या को काफी हद तक कम कर सकती हैं बायोसिमिलर दवा के क्लीनिकल ट्रायल द्वारा फ़ास्ट ट्रैक अप्रूवल , भारत जैसे देश में एक सकारात्मक कोशिश हो सकती है ।उन्होंने बताया कि इससे मरीज को उपचार पर आने वाली लागत को कम करने में मदद भी मिलेगी। डॉ सहरावत ने बताया कि समाज में क्लीनिकल ट्रायल को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं, कई लोग क्लीनिकल ट्रायल को सिर्फ एक प्रयोग मानते हैं, मगर यह सत्य नहीं है। दरअसल क्लीनिकल ट्रायल रोग के निदान और उपचार में काफी हद तक मददगार साबित होता है। डॉ. अमित ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य दिवस के आयोजन का उद्देश्य दुनियाभर के सभी देशों में समान स्वास्थ्य सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए लोगों को जागरुक करना, स्वास्थ्य संबंधी मामलों से जुड़ें मिथकों को दूर करना और वैश्विक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं पर विचार करना और उन विचारों को क्रियान्वित करना है।

7 अप्रैल 2024 को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जा रहा है। इस वर्ष की थीम “मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार” है, जो स्वास्थ्य सेवाओं तक सभी की पहुंच को सुनिश्चित करने पर ज़ोर देती है।

विश्व स्वास्थ्य दिवस पर एम्स ऋषिकेश की निदेशक प्रो०(डॉ.) मीनू सिंह ने कहा कि, क्लीनिकल ट्रायल्स का महत्व अत्यधिक है। ये साक्ष्य आधारित दवाओं के विषय में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इससे दवाओं की प्रभावकारिता और सुरक्षा का पूर्ण विश्वसनीय मूल्यांकन किया जा सकता है। क्लीनिकल ट्रायल्स के माध्यम से वैज्ञानिक तथ्यों का संग्रह होता है, जिससे यह पुष्टि की जा सकती है कि एक दवा वास्तव में कितनी प्रभावी और सुरक्षित है। इसके माध्यम से लोगों को सही और उत्तम उपचार की सुविधा होती है।इस दिशा में एम्स ऋषिकेश विश्व में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहा है।

*भारतीय स्वास्थ्य समाधान, भारतीय स्वास्थ्य समस्याओं के लिए*
भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौतियों का समाधान भारतीय समाधानों द्वारा ही किया जा सकता है।भारत दुनिया में सबसे अधिक क्लीनिकल ट्रायल्स आयोजित करने वाले देशों में से एक है। भारत में वर्तमान सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सक्षम नेतृत्व में राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग के माध्यम से भारत में क्लीनिकल ट्रायल नेटवर्क की उत्पत्ति का समर्थन करना शुरू किया गया। ऐसी ही एक डीबीटी प्रायोजित पहल में से एक ऑन्कोलॉजी/ कैंसर ट्रायल नेटवर्क की स्थापना है। यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चलाने के लिए बुनियादी ढांचे और जनशक्ति की स्थापना करता है। इस बायोसिमिलर अनुसंधान को बढ़ावा देने से अंतत: देश में सस्ती कैंसर देखभाल उपलब्ध होगी। यह देश में महंगी लक्षित और इम्यूनोथेरेपी दवाओं की लागत में कमी की सुविधा प्रदान करेगा, जिसकी लागत प्रति माह लाखों रुपए है, इसलिए केवल कुछ ही भारतीय इसे वहन कर सकते हैं। ऐसे डीबीटी वित्तपोषित कैंसर अनुसंधान नेटवर्क में से एक एन०ओ०सी०आई भारत में ऑन्कोलॉजी क्लिनिकल ट्रायल का नेटवर्क है। जो कि देश के छह मेडिकल संस्थानों का कैंसर क्लीनिकल ट्रायल नेटवर्क है। जिसमें एम्स ऋषिकेश, जिपमर पुडुचेरी, एसयूएम भुवनेश्वर , सीएमसी लुधियाना ,अमला अस्पताल,केरल और मीनाक्षी मिशन अस्तपाल ,मदुरै शामिल हैं। यह नेटवर्क पूरे भारत में फैला हुआ है, जिसमें राष्ट्रीय महत्व के निजी और सरकारी संस्थान शामिल है। यह उत्तराखंड जैसे राज्यों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। जानकारों का कहना है कि यह नेटवर्क अंतर्राष्ट्रीय मानक कैंसर देखभाल अनुसंधान, बहुकेंद्र परीक्षणों के लिए दरवाजे खोलेगा। इसका नेतृत्व एम्स ऋषिकेश के मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अमित सहरावत कर रहे हैं। भविष्य में यह नेटवर्क स्थापित मानक के रूप में कार्य करेगा और इसी तरह के कार्य के लिए अन्य लोगों को पहल करने के लिए प्रेरित करेगा। चिकित्सा ऑन्कोलॉजी विभाग एम्स ऋषिकेश ने कैंसर, कैंसर देखभाल, क्लीनिकल ट्रायलों के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए भविष्य में कई कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है। नेटवर्क ऑफ ऑन्कोलॉजी क्लीनिकल ट्रायल्स इन इंडिया (एन०ओ०सी०आई) भारत में कैंसर के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। एन०ओ०सी०आई एक राष्ट्रीय स्तर का पहल है जो भारत में कैंसर के उपचार के लिए नए और बेहतर तरीकों को विकसित करने के लिए विभिन्न संस्थानों को एक साथ लाता है।एम्स ऋषिकेश, उत्तराखंड में स्थित एक प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान, एन०ओ०सी०आई का एक प्रमुख भागीदार है। एम्स ऋषिकेश के सह-आचार्य, डॉ अमित सहरावत, नेटवर्क ऑफ ऑन्कोलॉजी क्लीनिकल ट्रायल्स इन इंडिया (एन०ओ०सी०आई) के प्रधान अन्वेषक हैं।और उन्होंने कई महत्वपूर्ण कैंसर अनुसंधान परियोजनाओं का नेतृत्व किया है। एन०ओ०सी०आई भारत में कैंसर के उपचार के लिए नई दवाओं और चिकित्सा पद्धतियों के विकास पर केंद्रित है।

*नए उपचारों की आवश्यकता:*
भारत में, कैंसर के मामलों की संख्या बढ़ रही है। इसलिए, हमें कैंसर के उपचार के लिए नए और बेहतर तरीकों को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा। भारत में किए गए क्लिनिकल ट्रायल्स हमें यह समझने में मदद कर सकते हैं कि कौन से उपचार भारतीय रोगियों के लिए सबसे प्रभावी हैं।
*भारत में क्लीनिकल ट्रायल्स: मेक इन इंडिया का सर्वोत्तम उदाहरण*
भारत में क्लीनिकल ट्रायल्स का क्षेत्र तेज़ी से विकसित हो रहा है। यह मेक इन इंडिया पहल का महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत में दुनिया में सबसे अधिक क्लीनिकल ट्रायल्स चल रहे हैं। यह भारत को वैश्विक स्वास्थ्य अनुसंधान का केंद्र बना रहा है।
नए इलाज के तरीकों की आवश्यकता
भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए नए इलाज के तरीकों की आवश्यकता है। एन०ओ०सी०आई जैसे ट्रायल नेटवर्क/ कोलेबोरेटिव रिसर्च कैंसर जैसी बीमारियों के लिए नई दवाओं और चिकित्सा पद्धतियों के विकास पर महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।

*भारत: दुनिया की फार्मेसी*
भारत दुनिया की फार्मेसी के रूप में जाना जाता है। भारत में सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली दवाओं का उत्पादन होता है। यह विश्व में भारत का स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाता है।

*निष्कर्ष*

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 हमें स्वास्थ्य सेवाओं तक सभी की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित करता है। भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए एन०ओ०सी०आई जैसे संगठनों का योगदान महत्वपूर्ण है।विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 हमें यह याद दिलाता है कि स्वास्थ्य एक अधिकार है। हमें ‘मेक इन इंडिया’ के दृष्टिकोण को अपनाकर भारत में स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए काम करना चाहिए।

*(लेखक अंकित तिवारी शोधार्थी, अधिवक्ता, एवं पूर्व विश्वविद्यालय प्रतिनिधि हैं)*

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