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दिव्यांगजन और वंचित वर्ग के लिए जन जागरूकता लाने में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है

उत्तराखंड//थलीसैंण
(अंकित तिवारी)

उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी के विशेष शिक्षा विभाग द्वारा “एक विश्वविद्यालय, एक शोध” योजना के अंतर्गत थलीसैंण ब्लॉक में दिव्यांगजन और वंचित वर्ग की शिक्षा के प्रति जागरूकता विषय पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए एकदिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य दिव्यांगता के कारण, उसके निराकरण, शीघ्र हस्तक्षेप, पुनर्वास और सशक्तिकरण के बारे में जानकारी देना था।

कार्यशाला का संचालन विश्वविद्यालय के विशेष शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष एवं सहायक प्राध्यापक डॉ. सिद्धार्थ पोखरियाल द्वारा किया गया। उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बताया कि किस प्रकार शीघ्र हस्तक्षेप की मदद से किसी भी व्यक्ति को जन्म के तुरंत बाद दिव्यांगता से बचाया जा सकता है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि समाज में दिव्यांगजन और वंचित वर्ग के लिए जन जागरूकता लाने में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है।

विश्वविद्यालय से आए सहायक प्राध्यापक तरुण नेगी ने उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा चलाए जा रहे पाठ्यक्रमों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दिव्यांगजन और वंचित वर्ग के लोग ऑनलाइन माध्यम से किस प्रकार प्रवेश ले सकते हैं और अपने नजदीकी क्षेत्र के किसी भी राजकीय महाविद्यालय को परीक्षा केंद्र के रूप में चुनकर परीक्षाएं दे सकते हैं।

कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित शांतिकुंज संस्था के प्रतिनिधि एवं सेवानिवृत्त प्रवक्ता आचार्य हरीश पोखरियाल ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से अनुरोध किया कि इस महत्वपूर्ण शोध को सफल बनाने में उनका योगदान अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा इस विषय पर शोध किए जाने का निर्णय राज्य के हित में एक बड़ा कदम है और इससे समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।

कार्यशाला में थलीसैंण ब्लॉक की विभिन्न आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने प्रतिभाग किया और इस पहल को सफल बनाने के लिए अपने सहयोग का आश्वासन दिया। समापन सत्र में डॉ. सिद्धार्थ पोखरियाल ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया और कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए सभी प्रतिभागियों की सराहना की।

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