मौल्यार से चमकीलू कैलाश तक का सफ़र :विनोद बिजल्वाण
—————————————————आज मैं आपका परिचय कराता हूं सैकड़ों गीतों के गायक और रचनाकार विनोद बिजल्वाण जी से। विनोद बिजल्वाण जी का मूल गांव बमण गांव, पट्टी क्वीली, जनपद टिहरी गढ़वाल है। और वर्तमान में आप आनंद विहार ढालवाला, मुनिकीरेती में रहते हैं।
आप शिक्षक हैं। दो दशक से अधिक समय से आप प्रेमानंद जूनियर हाई स्कूल 14 बीघा में अध्यापन कार्य कर रहे हैं। बाल्यकाल से ही लगभग 9 / 10 वर्ष की अवस्था से आप गीत संगीत की दुनिया में प्रवेश कर गए थे। 1991 में आपकी प्रथम कैसेट “बड़कोट बजार”आई थी। उसके पश्चात 1996 में आकाशवाणी नजीबाबाद से आपने स्वर परीक्षा उत्तीर्ण की और आपके गीत आकाशवाणी नजीबाबाद से प्रसारित होने लगे। टी सीरीज, रामा, नीलम, आराधना कंपनी ने आपके कैसेट निकाले। आपने जनता का मनोरंजन ही नहीं किया बल्कि आपने प्रेरणादाई, पहाड़ की पीड़ा, पहाड़ के बार -त्योहार, मेलों, प्रेम – विरह से संबंधित गीत भी लिखे। आपके गीतों को जनता ने खूब पसंद किया। तेरी नजर कै पर, बड़कोट बजार, मुखड़ी दिखै जा, मौल्यार, तारु छुमा, भेना दिलदार, परमिला भाबर की सैरा गढ़वाल मा, रवाईं की राजुला, उलारया सुभौ , सोना बौजी, बाडुली आदि कैसेट आपकी बहुत प्रसिद्ध हुई हैं। इसके अलावा वीडियो एल्बम में भी आपने कई गीत लिखे और गाये हैं। उनमें जयपुरी दुपट्टा, चमकीलू कैलाश, सुमना देई बिंदुला गेल्याणी आदि प्रमुख हैं।
विनोद बिजल्वाण जी संस्कृति विभाग उत्तराखंड के ए ग्रेड के कलाकार हैं और आकाशवाणी व दूरदर्शन के बी हाई ग्रेड के कलाकार हैं। आपके गीत आकाशवाणी और दूरदर्शन पर समय-समय पर प्रसारित होते रहते हैं।
आप की अब तक ढाई सौ गीतों की रिकॉर्डिंग हो चुकी है। मधुर और मिलनसार स्वभाव के धनी सरल व सहज उत्तराखंड की संस्कृति के वास्तविक संवाद हमारे गायक वह गीतों के रचनाकार विनोद बिजलवान जी को नमन वंदन व अभिनंदन।