#रावत_के_सम्मुख_ऐरावत
पौड़ी से कोटद्वार लौटते समय जब पूर्व मुख्यमंत्री माननीय
त्रिवेंद्र सिंह रावत जी के काफिले के सामने गजराज खड़े हो गए तो कवि: बेलीराम कनस्वाल जी”ने एक सुन्दर कविता बना डाली।
रावत के सम्मुख ऐरावत!
समय बहुत ही गजब है ढावत,
रावत के सम्मुख ऐरावत।
चिंघाड़ा थरथर काँपे सब,
जान बचाकर सारे भागत।।
प्राण हथेली पर धर करके,
बेगहिं जंगल महिं सब धावत।
जहँ -जहँ पूर्व बजीर-ए-आला,
ऐरावत तहँ- तहँ अनुधावत।।
मानहुँ छोड़ चले हों रण को,
बस प्रभु नाम जुबाँ पर आवत।
दलबल पूरा साथ मगर पर,
घोर विपत्त कछु काम न आवत।।
कोई उपाय न सूझत मन में,
भीम शिला ऊपर चढ़ि रावत।
चीख पुकार मची अति भीषण,
चहुँदिश दंती नाच नाचवत।
फिर मानहुँ गजराज कहे कि,
ठहरो क्यों तुम भागत जावत।
व्यग्र बहुत तुमसे मिलने को ,
तुम समझे ना मेरी चाहत।।
भय दूर करो मन से तुम अपना,
भागे जाते हो क्यों नाहक।
मैं भी भक्त नमो का सुनकर,
रावत को मिल पाई राहत।।
कवि:
बेलीराम कनस्वाल
भेट्टी,ग्यारह गाँव ,टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड।