उत्तराखंड में आजकल जिस तरह से सरकारी नौकरियों में भ्रष्टचार से लेकर परिवारवाद और भाई-भतीजावाद पनप रहा रहा है उससे तो लगता है कि राज्य में रोजगार के नाम पर अंधा बांटे रेवड़ी अपने अपनों को दें वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।….
पिछले कुछ समय से देवभूमि उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों के नाम पर जो भ्रष्टाचार और भाई- भतीजावाद बात सामने आ रही है उसने राज्य के आम जनमानस का सरकार में बैठे लोगों और जनप्रतिनिधियों से एक प्रकार से विश्वास ही उठा है। जब मैं भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद,परिवारवाद की बात कर रहा हूं तो ऐसा नहीं लगना चाहिए कि मैं सिर्फ राजनीतिक क्षेत्र की बात कर रहा हूं। दुर्भाग्य से राजनीति में भाई-भतीजावाद का बोलबाला है। इससे देश की प्रतिभाओं को नुकसान हुआ है। आज आम जनमानस को जागरूक होने की आवश्यकता है ताकि भ्रष्टाचार भाई-भतीजावाद,परिवारवाद भविष्य में बड़ा रुप ले न लें। मुझे अच्छी तरह से याद है कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आजादी के अमृत महोत्सव पर स्वतंत्रता के 76वें उत्सव के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हुए कहा था कि भ्रष्टाचार,भाई-भतीजावाद और परिवारवाद को बढ़ावा एक दीमक की तरह है जो देश को खोखला करता जा रहा है। संयोग से कहिए इस देवभूमि उत्तराखंड में मोदी जी के नाम पुष्कर धामी के नेतृत्व में भाजपा की ही सरकार है और आयोग से लेकर विधानसभा की बैकडोर भर्ती से लेकर राज्य के मंत्रियों तक के स्टाफ में हुई सभी नियुक्तियों में भ्रष्टाचार भाई-भतीजावाद,परिवारवाद का बोलबाला है। पिछले दिनों विधानसभा बैकडोर से हुई भर्तियों पर राज्य की जनता में एक जनाक्रोश के कारण उत्तराखंड की विधानसभा अध्यक्ष द्वारा विधानसभा के पूर्व अध्यक्षों श्री गोविंद सिंह कुंजवाल,श्री प्रेमचन्द अग्रवाल के कार्यकाल में बैकडोर से हुई भर्तियों पर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा एक जांच समिति का गठन किया गया जांच समिति द्वारा विधानसभा के पूर्व अध्यक्षों द्वारा विधानसभा में हुई नियुक्तियों को असंवैधानिक करार दिया और राज्य के मुख्यमंत्री को विधानसभा में हुई नियुक्तियों को निरस्त करने की संस्तुति प्रदान की। राज्य के मुख्यमंत्री ने भी भाजपा केन्द्रीय नेतृत्व के निर्देश पर विधानसभा में बैकडोर से हुई नियुक्तियां निरस्त कर दी। राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा विधानसभा में हुई असंवैधानिक नियुक्तियों को निरस्त करना स्वच्छ एवं पारदर्शी सरकार के लिए आवश्यक भी था।
आजादी के पिचहतर वर्षों बाद भी भारत में असंख्य लोग गरीबी से लड़ रहे हैं,जो शिक्षित योग्य होते हुए भी रोजगार के इंतजार में बैठे हैं। आज हमें अपनी पूरी क्षमता से भ्रष्टाचार से निपटने की जरूरत है।
देश में भ्रष्टाचार भाई-भतीजावाद परिवारवाद ऐसी बुराई है, जिससे हमें मिलकर निपटने की जरूरत है।
निश्चित रूप से जन प्रतिनिधियों का अपने विशेषाधिकार के प्रयोग में परिवारवाद से हमारी कहीं योग्य प्रतिभाएं प्रभावित हुईं हैं,यह हमारी प्रतिभा,राष्ट्र की क्षमताओं को नुकसान पहुंचाती हैं और एक भ्रष्टाचार को जन्म देती है। अपने विशेषाधिकार में जनप्रतिनिधियों को जब तक दंडित करने की मानसिकता नहीं होगी, राष्ट्र तेज गति से प्रगति नहीं कर सकता। आजादी के अमृत महोत्सव में हमने अगले पच्चीस वर्षों के प्रगति के ही लक्ष्य को निर्धारित किया है।
आज जिस तरह से सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार भाई-भतीजावाद और परिवारवाद को जनप्रतिनिधियों द्वारा बढ़ावा मिल रहा है तथा अंधा बंटी रेवड़ी अपनो अपनों को दें की जन हितार्थ और परमवैभव तथा पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी के एकात्म मानववाद के सिद्धांत को चरितार्थ करते हुए अन्तिम छोर के व्यक्ति का विकास करते हुए अंधा बांटें रेवड़ी सबको सबको दें वाली कहावत को चरितार्थ करना पड़ेगा।