देवोत्थान एकादशी को भगवान शिव द्वारा त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध होने के कारण वे त्रिपुरारि कहलाये। भगवान शिव का आभार व्यक्त करने के लिए देवताओं ने देव लोक में दीपों के प्रकाश से आनन्दोत्सव मनाया था। देवोत्थान एकादशी को मनाई जाने वाली इगास-बग्वाल देव दीपावली के रुप में भी मनायी जाती है।
उत्तराखण्डी लोक संस्कृति, रीति-रिवाज,परम्पराओं एवं त्योहारों को मनाने का तरीका बेहद ही अनूठा तरीका है। कहते हैं कि भगवान शिव ने देवोत्थान एकादशी के दिन त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था जिस कारण वे त्रिपुरारि कहलाये। इससे प्रसन्न होकर देवताओं ने देवलोक में दीप जलाकर आनन्दोत्सव मनाया था तभी से देवोत्थान एकादशी को देव दीपावली मनायी जाती है। चूंकि उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। इसलिए उत्तराखंड में देव दीपावली को हम इगास-बग्वाल के नाम से भी जानते हैं। जिसका कि प्रदेशवासी को लम्बे समय से इंतजार रहता है।
दीपावली के ग्यारह दिन बाद पड़ने वाली इगास-बग्वाल को प्रदेशवासी सदियों से चली आ रही अपनी लोक संस्कृति,रीति-रिवाज,परम्पराओं को आगे बढ़ाते हैं।
प्रदेश में देव दीपावली (इगास-बग्वाल) के दिन भैला खेलने का विशेष प्रचलन है। इस दिन गाँव के लोग एक साथ मिलकर भैलों का खेल खेलकर तथा सामूहिक नृत्य कर अपनी खुशियों को एक दूसरे में बांटते हैं।
भैलो का मतलब एक विशेष प्रकार की रस्सी से है। यह रस्सी पेड़ों की छाल से बनी होती है। बग्वाल के दिन लोग इस रस्सी के दोनों कोनों में आग लगा देते हैं और फिर रस्सी को घुमाते हुए भैला खेलते हैं। यह परंपरा उत्तराखंड के हर कोने में सदियों से चली आ रही है। इस दिन लोग भैलो का खेल खेलने के साथ ही उत्तराखंड की लोक संस्कृति में भावविभोर हो जाते हैं। लोग विभिन्न समूहों में एकत्रित होकर उत्तराखंडी पारंपरिक थड़िया,चौफला,तांदी,झूमेलौ आदि पारम्परिक लोक गीतों पर नृत्य करते हैं, जिसकी छटा देखते ही बनती है।उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जहां की संस्कृति अनेक रंगों से भरी हुई है। यहां की बोली में एक प्रकार से विशेष प्रकार की मिठास है।उत्तराखंड में हर त्योहार को एक विशेष अनूठे अंदाज में मनाया जाता है। इगास-बग्वाल राज्य का एक ऐसा ही त्योहार है जो उत्तराखंड की लोक संस्कृति,परंपराओं को जीवंत करता है। लोक परम्परा और संस्कृति को जीवन्त करने के लिए राज्य सरकार भी प्रयासरत है। इस वर्ष राज्य सरकार ने देवोत्थान एकादशी इगास पर्व पर राज्य में सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है। जो कि राज्य सरकार का स्वागत योग्य प्रयास है। उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद एवं भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी पिछले तीनों वर्षों से देवोत्थान एकादशी पर मनाई जाने वाली इगास को अपने गांव में मनाये जाने का अभियान चलाकर सूने पहाड़ और खाली होते गांव काफी हद तक “मेरा गांव मेरा तीर्थ” के तहत आनन्दोत्सव मनाये जाने का एक अनुकरणीय प्रयास एवं उत्तराखंड की लोक परम्परा और रीति-रिवाजों को जीवन्त करने का अनूठा प्रयास है। सभी को देव दीपावली की हार्दिक बधाई एवं मंगलमयी अनन्त शुभकामनाएं।