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व्याकरण के बिना भाषा की महत्ता नहीं : मनवर चौहान

“डोईवाला”

किसी भी भाषा की महत्ता उसके व्याकरण से ही होती है। भाषा व्याकरण को जाने समझे बिना भाषा का अशुद्ध प्रयोग उचित नहीं है। यह विचार 85 वर्षीय कालूवाला निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक श्री मनवर सिंह चौहान जी ने एक भेंटवार्ता में व्यक्त किये।
श्री मनवर सिंह चौहान जी को हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी के व्याकरण की बहुत गहरी समझ है। कालूवाला निवासी “श्री मनवर सिंह चौहान जी” विभिन्न विषयों पर स्पष्ट दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। वे भारतीय संस्कृति, रहन – सहन, खान – पान, शुद्ध भाषा, संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार पर बहुत जोर देते हैं।
श्री चौहान जी प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति पर भी विशेष बल देते हैं।
नाक से खून बहना, आधे सिर का या पूरे सिर का दर्द रहना सहित बहुत सी समस्याओं के निदान के लिए भी आप जाने जाते हैं। गुरुजी की नि:शुल्क सेवाओं का बहुत से लोग लाभ भी उठाते हैं।
विद्वता में तो गुरुजी का कोई सानी ही नहीं है। और भी गुरुजी के पास बहुत खजाना है। गुरु जी ने बहुत सारी पुस्तकों का अध्ययन किया है।https://youtube.com/@ajgramin5721

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