-अंकित तिवारी
आज पूरी दुनिया में विश्व मधुमेह दिवस (World Diabetes Day) मनाया जा रहा है, और इस अवसर पर हम उन लाखों लोगों की ताकत और संकल्प को सलाम करते हैं, जो हर दिन इस बीमारी के साथ जीवन जी रहे हैं। मधुमेह सिर्फ एक बीमारी नहीं, बल्कि एक ऐसी जीवनशैली का हिस्सा बन चुका है, जिसमें अनुशासन और जागरूकता की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य केवल इस बीमारी के बारे में जानकारी फैलाना नहीं है, बल्कि इसे लेकर लोगों की मानसिकता बदलने की भी आवश्यकता है।
सुदर्शन पटनायक जैसे कलाकारों की पहलें इस जागरूकता को और भी सशक्त बना रही हैं। भारत के प्रसिद्ध सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने अपनी रेत की कलाकृति के माध्यम से मधुमेह पर एक सशक्त संदेश दिया है। रेत पर उकेरी गई उनकी कलाकृति न केवल कलाकार की अद्वितीय शैली को दर्शाती है, बल्कि यह इस कड़े संघर्ष से गुजर रहे लोगों के लिए आशा और साहस का प्रतीक भी बनती है। सुदर्शन पटनायक का कहना है कि “मधुमेह एक बीमारी नहीं, बल्कि एक अनुशासन है।”

यह संदेश बहुत गहरे अर्थ को व्यक्त करता है। मधुमेह एक ऐसी बीमारी है, जिसे जीवनभर संभालने की आवश्यकता होती है। यदि लोग सही समय पर जागरूक होते हैं, तो इसका प्रबंधन और रोकथाम संभव है। जागरूकता ही इसका सबसे मजबूत हथियार है, क्योंकि सही जानकारी से ही हम इस बीमारी से लड़ सकते हैं और अपने जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बना सकते हैं।
विश्व मधुमेह दिवस पर विभिन्न स्वास्थ्य विशेषज्ञ और संस्थाएं मधुमेह की रोकथाम और इसके प्रभावी प्रबंधन के उपायों पर चर्चा करती हैं। यह दिन उन लोगों के लिए भी एक प्रेरणा है, जो इस बीमारी से जूझ रहे हैं। यह उनके आत्मविश्वास को मजबूत करने का अवसर है, ताकि वे इस बीमारी के बावजूद एक स्वस्थ और सक्रिय जीवन जी सकें।
सुदर्शन पटनायक की कला न केवल दर्शाती है कि मधुमेह के साथ जीवन जीना संभव है, बल्कि यह भी संदेश देती है कि इसके बारे में अधिक जानकारी और जागरूकता फैलाना कितना महत्वपूर्ण है। रेत की एक साधारण कला में उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि कला भी सामाजिक बदलाव का एक प्रभावी उपकरण बन सकती है।
समाज का दायित्व है कि हम इस बीमारी के बारे में जितना संभव हो सके, उतनी जानकारी फैलाएं। स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, और मानसिक सशक्तिकरण के साथ, मधुमेह से जूझने वाले लोग अपनी जिंदगी को सामान्य रूप से जी सकते हैं। आइए हम सभी मिलकर यह संकल्प लें कि हम न सिर्फ अपनी जिंदगी को मधुमेह से मुक्त बनाने के लिए जागरूक होंगे, बल्कि दूसरों को भी जागरूक करेंगे।
मधुमेह केवल शारीरिक चुनौती नहीं है, बल्कि मानसिक और सामाजिक चुनौती भी है। इस दिन हम सभी को अपने अनुशासन और जागरूकता से एक स्वस्थ भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए। सुदर्शन पटनायक जैसे कलाकारों की प्रेरणा से हम न केवल मधुमेह के खिलाफ जागरूकता बढ़ा सकते हैं, बल्कि अपने जीवन में इस बीमारी से लड़ने की ताकत भी पा सकते हैं।




