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शिक्षक संतोष व्यास की पुस्तक व्यास वंशावली “कल्पद्रुम” का भव्य विमोचन समारोह संपन्न

ऋषिकेश

पुस्तकें हमारे जीवन की जीती जागती धरोहर हैं। हमें जीवन भर विद्यार्थी की तरह सीखने के लिए प्रयत्नरत रहना चाहिए। जिस वृक्ष की जड़ें जितनी मजबूत और गहरी होंगी वह वृक्ष उतना ही अधिक दीर्घायु होगा और जिस वृक्ष की जड़ें खोखली होंगी उसका पतन जल्दी हो जाता है। कार्यक्रम होटल “चंद्रा पैलेस ढालवाला, ऋषिकेश” में शिक्षक श्री संतोष चंद्र व्यास जी द्वारा लिखित पुस्तक व्यास वंशावली “कल्पद्रुम” के विमोचन समारोह के अवसर पर महामंडलेश्वर श्रीराम तपस्थली ब्रह्मपुरी, तपोवन, टिहरी गढ़वाल के संत श्री “दयाराम दास” जी महाराज एवं श्री”आशाराम” ब्यास जी की  गरिमामई उपस्थिति में किया गया।

महामंडलेश्वर श्री दयाराम दास जी ने पुस्तक के लेखक संतोष चंद्र व्यास जी और सभी व्यास बंधुओं को हार्दिक शुभकामनाएं एवं आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि पुस्तकें हमारी सच्ची मित्र हैं। हमें जीवन भर विद्यार्थी की तरह पुस्तकों को पढ़ने में समय लगाना चाहिए। महामंडलेश्वर दयाराम दास जी महाराज ने गौ सेवा करने एवं गौ ग्रास गौमाता को खिलाने का भी इस अवसर पर आह्वान किया। पुस्तक विमोचन समारोह का शुभारंभ महामंडलेश्वर दयाराम दास जी महाराज, हर्षमणि व्यास, कमलेश्वर प्रसाद व्यास, चंद्रमोहन शास्त्री, भगवती प्रसाद व्यास, आसाराम व्यास, श्रीमती कमलेश्वरी व्यास, श्रीमती शांता देवी, श्री सच्चिदानंद व्यास, श्रीमती भुवनेश्वरी देवी ने मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित करके किया।

इस अवसर पर कवयित्री ममता जोशी “स्नेहा’ ने मां सरस्वती की वंदना एवं मातृभूमि की वंदना से वातावरण को भक्तिमय बना दिया। रश्मि पैन्यूली जी ने भी इस अवसर पर कविता पाठ किया। गढ़ भूमि लोक संस्कृति संरक्षण समिति से जुड़ी मातृशक्ति ने इस अवसर पर मांगल गीत का सुंदर गायन भी किया।

व्यास वंशावली “कल्पद्रुम” के लेखक संतोष चंद्र व्यास जी ने इस अवसर पर अपने उद्बोधन में कहा कि मेरे मन में व्यास वंशावली का लेखन कार्य करने का विचार बहुत छोटी आयु में मन में आया था। मैंने अपने व्यास परिवार के बुजुर्ग लोगों को व्यास वंशावली लेखन का कार्य करते हुए देखा था; जिससे मेरी भी जिज्ञासा इस कार्य के लिए बढ़ी। संयोगवश जिन जिन लोगों ने पूर्व में व्यास वंशावली लेखन का कार्य प्रारंभ किया वे इस कार्य को अधूरा छोड़ कर ही स्वर्ग सिधार गए। संतोष चंद्र व्यास ने बताया कि मैंने 6 वर्ष तक इस पुस्तक के लेखन के लिए दिन-रात परिश्रम किया और व्यास परिवार के बुजुर्ग लोगों से संपर्क किया, जानकारी इकट्ठा की और आज कड़ी मेहनत के पश्चात यह ग्रंथ व्यास बंधुओं को सौंपते हुए प्रसन्नता हो रही है। पुस्तक के लेखक संतोष चंद्र व्यास जी ने बताया कि यह पुस्तक लेखन का कार्य अपने वंश और गांव समाज के लिए था। इसके पश्चात मेरा दूसरा लक्ष्य अपने राज्य के लोगों की सेवा का है; जिसके लिए कि मैं “औखाण” का संग्रह कर रहा हूं। इस समय लगभग 1200 “औखाण” संकलित कर लिए गए हैं। जैसे ही यह संख्या ढाई हजार के लगभग होगी तो इसे पुस्तक का रूप दिया जाएगा। संतोष व्यास जी ने कहा कि इसके पश्चात राष्ट्रीय स्तर का दायित्व निभाने का मेरा विचार है; जिसमें मैं “संस्कारशाला” के माध्यम से देश और समाज के हित के लिए लेखन कार्य करूंगा।

शिक्षक ‘संतोष व्यास” ने इस पुस्तक के लेखन में सहयोग करने वाले सभी बड़े बुजुर्गों, अपनी पूज्य माता जी श्रीमती देवेश्वरी व्यास जी, पत्नी श्रीमती शकुंतला व्यास जी सहित वंशावली निर्माण समिति “व्यास भ्रातृ मंडल उत्तराखंड” का भी हार्दिक आभार व्यक्त किया है। इस अवसर पर पुस्तक के लेखक संतोष चंद्र व्यास जी को कमलेश्वर व्यास जी, आनंद मनवाल जी, दर्शनी भंडारी जी, रश्मि पैन्यूली जी, सुनीता व्यास जी, भुवनेश्वरी देवी जी,जगदीश ग्रामीण सहित उपस्थित बुद्धिजीवियों ने हार्दिक शुभकामनाएं दीं एवं उम्मीद जताई कि उनका यह लेखन कार्य इसी प्रकार आगे भी चलता रहेगा और समाज एवं राष्ट्र को उनके लेखन से अवश्य ही नई दिशा मिलेगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे “गढ़भूमि लोक संस्कृति संरक्षण समिति’ के अध्यक्ष आसाराम व्यास जी ने इस अवसर पर सभी आगंतुक अतिथि जनों का आभार व्यक्त किया एवं पुस्तक के लेखक संतोष चंद्र व्यास जी को हार्दिक शुभकामनाएं दीं।

कार्यक्रम का संचालन ऋषिकेश की शान विभिन्न राष्ट्रीय मंचों का संचालन करने वाले “आवाज साहित्यिक संस्था” के सचिव कुशल मंच संचालक डॉ• सुनील दत्त थपलियाल “कर्मठ” ने किया।

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