नागणी
आज 8 मई का दिन है। नागणी बाजार में मेला लगा हुआ है। हर साल की तरह यह मेला भव्य है। बच्चे, बड़े- बुजुर्ग व्यापारी ग्राहक उपभोक्ता—- सभी इस दिन का इंतजार करते हैं। हालांकि अब आस-पास सभी जगह दुकानें हैं, बाजार हैं, लेकिन फिर भी मेलों की अपनी अलग पहचान है। अपनी अलग विशिष्टता है। अपनी अलग संस्कृति है अपना अलग लगाव है। मिलने जुड़ने का एक निश्चित स्थल है। यह मेले हमें जीवन जीने की कला सिखाते हैं। मन में उत्साह, उमंग जोश प्रेम, हास्य, मनोरंजन का माध्यम बनते हैं। बच्चे तो बचपन का आनंद लेते ही हैं बड़े – बुजुर्ग भी इन अवसरों पर बच्चे बन जाते हैं। बचपन के सुख का आनंद लेने लगते हैं। मेले में बच्चों का उत्साह देखने लायक है। बच्चे घूम रहे हैं, मस्ती कर रहे हैं, मेले का आनंद ले रहे हैं। आइसक्रीम,जलेबी, पकोड़ी बड़े चाव से खा रहे हैं।नागणी बाजार में मेला लगा है तो कुछ बात इस विषय पर भी हो जाए। उत्तराखंड की शान लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी जी ने बहुत समय पहले एक गीत लिखा था गढ़वाली में। जा जा बेटी नागणी बाजार —–दैजा द्युलो रुपया हजार। लेकिन यह वह नागणी बाजार नहीं है दोस्तों! वह नागणी बाजार जनपद उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ के निकट है। आप सभी मित्र मेले और नागणी बाजार को लेकर नरेंद्र सिंह नेगी जी द्वारा लिखित गीत के संबंध में यदि और जानकारी रखते हैं तो कृपया जानकारी साझा कीजिए। सभी लाभान्वित होंगे।