ऋषिकेश(अंकित तिवारी): एम्स ऋषिकेश ने विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत रायवाला के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य स्तनपान के प्रति जागरूकता बढ़ाना और शिशु के लिए माँ के दूध के महत्व पर जोर देना था।
इस अवसर पर ‘स्वस्थ शिशु प्रतियोगिता’ भी आयोजित की गई, जिसके माध्यम से विशेषज्ञों ने बताया कि माँ का दूध शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार है। एम्स की कार्यकारी निदेशक, प्रो. मीनू सिंह, ने माँ के दूध को ‘अमृत के समान’ बताते हुए कहा कि यह शिशु के विकास को गति देता है और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
संस्थान की डीन अकादमिक, प्रो. जया चतुर्वेदी, और चिकित्सा अधीक्षक, प्रो. बी. सत्या श्री, ने स्तनपान को शिशु का पहला अधिकार बताया। उन्होंने कहा कि पहले छह महीनों तक माँ का दूध ही शिशु के लिए पूर्ण पोषण का काम करता है। सामुदायिक चिकित्सा विभाग की विभागाध्यक्ष, प्रो. वर्तिका सक्सेना, ने कामकाजी महिलाओं से भी स्तनपान को प्राथमिकता देने का आग्रह किया।
मुख्य चिकित्साधिकारी, डॉ. मनोज शर्मा, ने बताया कि माँ के दूध में पौष्टिक तत्व, विटामिन, मिनरल्स और एंटीबॉडीज भरपूर मात्रा में होते हैं, जो बच्चे को बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं। सामुदायिक चिकित्सा विभाग के डॉ. महेंद्र सिंह ने स्वस्थ शिशु कार्यक्रम को बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की नींव बताया।
इस दौरान एम्स ऋषिकेश के इंटर्न डॉक्टरों ने स्तनपान के महत्व पर एक नाटक प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का आयोजन करने वाली डॉ. मीनाक्षी खापरे ने माँ और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर स्तनपान के सकारात्मक प्रभावों को समझाया। इस कार्यक्रम में पीएचसी रायवाला के चिकित्साधिकारी डॉ. अमित बहुगुणा सहित एम्स के कई डॉक्टर, छात्र-छात्राएं और स्थानीय लोग उपस्थित थे।