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एम्स ऋषिकेश की पहल: शीशु आहार कक्ष का निर्माण*

माँ का दूध नवजात शिशुओं के लिए अमृत समान है, जिसमें आवश्यक पोषक तत्व और एंटीबॉडी होते हैं। लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर स्तनपान कराने में आने वाली असुविधाओं के कारण कई माताएं इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया से वंचित रह जाती हैं। ऐसे में एम्स ऋषिकेश का यह कदम एक स्वागत योग्य पहल है।

उत्तराखंड//ऋषिकेश

भारत में मातृत्व और शिशु स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए, एम्स ऋषिकेश ने शीशु आहार कक्ष की स्थापना की है। यह पहल न केवल एक सराहनीय कदम है बल्कि यह एक आदर्श उदाहरण भी प्रस्तुत करती है कि किस प्रकार संस्थान माताओं और नवजात शिशुओं के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं।

भारत में हर साल लाखों शिशु जन्म लेते हैं, और उनकी उचित देखभाल तथा पोषण सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है। माँ का दूध नवजात शिशुओं के लिए अमृत समान है, जिसमें आवश्यक पोषक तत्व और एंटीबॉडी होते हैं। लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर स्तनपान कराने में आने वाली असुविधाओं के कारण कई माताएं इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया से वंचित रह जाती हैं। ऐसे में एम्स ऋषिकेश का यह कदम एक स्वागत योग्य पहल है।

शीशु आहार कक्ष की स्थापना से माताओं को एक सुरक्षित, स्वच्छ और निजी स्थान मिलेगा जहां वे बिना किसी संकोच के अपने शिशुओं को स्तनपान करा सकेंगी। यह कक्ष पूरी तरह से वातानुकूलित और सुसज्जित है, जिसमें आरामदायक कुर्सियाँ, स्वच्छता के उच्चतम मानक, और शिशु आहार के लिए आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं। इससे माताओं को अपने शिशुओं को पोषण देने में सहूलियत होगी और वे अधिक सहज महसूस करेंगी।

मातृत्व के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण
इस पहल से माताओं को न केवल शारीरिक सुविधा मिलेगी बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। स्तनपान कराने में असुविधा और सार्वजनिक स्थलों पर आने वाली मुश्किलें कई माताओं के लिए तनावपूर्ण हो सकती हैं। इस प्रकार के कक्ष माताओं के आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं और उन्हें अपने शिशुओं के साथ एक सुखद समय बिताने का अवसर प्रदान करते हैं।

एम्स ऋषिकेश की यह पहल अन्य संस्थानों और सार्वजनिक स्थानों के लिए भी एक प्रेरणा है। सरकारी और निजी क्षेत्र में इस प्रकार की सुविधाओं का विस्तार किया जाना चाहिए ताकि सभी माताओं को इसका लाभ मिल सके। इसके लिए जनजागरूकता और सामाजिक समर्थन भी आवश्यक है ताकि माताएं बिना किसी झिझक के अपने शिशुओं को स्तनपान करा सकें।

एम्स ऋषिकेश की शीशु आहार कक्ष की पहल एक महत्वपूर्ण और सराहनीय कदम है जो मातृत्व और शिशु स्वास्थ्य को प्राथमिकता देता है। यह न केवल माताओं और शिशुओं के लिए लाभकारी है बल्कि समाज में स्तनपान के महत्व को भी रेखांकित करता है। अन्य संस्थानों को भी इस दिशा में प्रेरणा लेते हुए ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे मातृत्व को सम्मान और सुविधाएं मिल सकें।
*(इस लेख के लेखक अंकित तिवारी, शोधार्थी, अधिवक्ता एवं पूर्व विश्वविद्यालय प्रतिनिधि हैं।)*

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