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एआई ट्यूटर्स के उपयोग के नैतिक और सामाजिक पहलुओं पर राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित

ऋषिकेश(अंकित तिवारी): श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय, पं. एल.एम.एस. परिसर, ऋषिकेश में “एथिकल एंड सोशियोलॉजिकल इम्प्लिकेशन्स ऑफ यूजिंग एआई ट्यूटर्स इन क्रिएटिंग इंक्लूसिव क्लासरूमस” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। समाजशास्त्र विभाग एवं शिक्षाशास्त्र विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस वेबिनार का मुख्य उद्देश्य आधुनिक शिक्षा प्रणाली में एआई आधारित ट्यूटर्स की भूमिका, उनके नैतिक आयामों तथा शिक्षा के समावेशी वातावरण पर उनके सामाजिक प्रभावों पर विचार–विमर्श करना था।

कार्यक्रम  कुलपति प्रो. एन.के. जोशी के निर्देशन में संपन्न हुआ। पं. एल.एम.एस. परिसर के निदेशक प्रो. एम.एस. रावत ने भी शिक्षा में तकनीकी हस्तक्षेप की आवश्यकता और इसके सामाजिक प्रभावों पर जोर दिया। उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि तकनीकी विकास से शिक्षा क्षेत्र में बदलाव आ रहे हैं, जिनका उद्देश्य अधिक समावेशी और प्रभावी शिक्षा प्रणाली बनाना है।

वेबिनार के मुख्य वक्ता, प्रो. रवि प्रकाश, प्राचार्य, राजकीय महिला डिग्री कॉलेज, सैयदराजा, चंदौली (उ.प्र.), ने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि एआई के बढ़ते उपयोग के साथ नैतिक जिम्मेदारियाँ, डिजिटल असमानता और मानव–मशीन संबंधों के नए प्रश्न भी सामने आते हैं। उन्होंने कहा, “एआई के उपयोग से शिक्षा में समावेशिता तो बढ़ सकती है, लेकिन यह भी जरूरी है कि इसके प्रभावों को समझते हुए सही दिशा में इसका उपयोग किया जाए।”

वेबिनार के दूसरे मुख्य वक्ता, डॉ. राहुल पांडे, विभागाध्यक्ष, शिक्षाशास्त्र विभाग, उषा मार्टिन यूनिवर्सिटी, रांची (झारखंड), ने बताया कि एआई आधारित ट्यूटर्स सीखने की प्रक्रिया को अधिक व्यक्तिगत, लचीला और प्रभावी बनाते हैं, जिससे छात्रों की सीखने की गति एवं समझ में सकारात्मक सुधार होता है। डॉ. पांडे ने इस तकनीकी हस्तक्षेप के फायदे और नुकसान पर भी विस्तृत चर्चा की।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों से कई विशिष्ट जन उपस्थित रहे। डीन, कला संकाय प्रो. प्रशांत कुमार सिंह (वेबिनार संयोजक एवं विभागाध्यक्ष, समाजशास्त्र विभाग); डीन, विज्ञान संकाय प्रो. एस.पी. सती; डीन, वाणिज्य संकाय प्रो. विजय प्रकाश श्रीवास्तव तथा डीन, छात्रकल्याण प्रो. हेमलता मिश्रा की उपस्थिति ने कार्यक्रम को विशेष महत्व प्रदान किया। इसके साथ ही, विश्वविद्यालय के अन्य विभागों के विभागाध्यक्ष और प्राध्यापक भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

राष्ट्रीय वेबिनार में परिसर के सभी विभागों के विभागाध्यक्ष तथा प्राध्यापक भी शामिल रहे। शिक्षाशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष एवं वेबिनार संयोजक डॉ. अटल बिहारी त्रिपाठी और समाजशास्त्र विभाग से डॉ. किरन फर्त्याल, वेबिनार सह-संयोजक, ने वेबिनार संचालन में सक्रिय भूमिका निभाई।समाजशास्त्र विभाग के शोधार्थियों—आकाश कश्यप, कमल सिंह, शिवानी और हिमानी—का इस वेबिनार के सफल आयोजन में विशेष योगदान रहा। उन्होंने तकनीकी सहयोग, समन्वय, ऑनलाइन प्रबंधन और आयोजन से जुड़े विभिन्न कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके कारण कार्यक्रम अत्यंत सुव्यवस्थित रूप से संपन्न हो सका।

कार्यक्रम प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी और विचारोत्तेजक चर्चाओं के कारण अत्यंत सफल रहा। ऑनलाइन माध्यम से पंजीकरण और तकनीकी सहायता प्रदान की गई, और सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र भी उपलब्ध कराए जाएंगे।

इस वेबिनार ने एआई ट्यूटर्स के उपयोग से जुड़ी नैतिक और सामाजिक पहलुओं को समझने और उन पर विचार करने का अवसर प्रदान किया। इसके माध्यम से यह स्पष्ट हुआ कि AI तकनीक शिक्षा क्षेत्र में समावेशिता को बढ़ावा दे सकती है, लेकिन इसके प्रभावों को समझकर ही इसका उचित उपयोग किया जाना चाहिए।

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