चम्बा नागणी
आपके दो बच्चे विदेश में सऊदी अरब व ओमान में जॉब करते हैं। बिटिया शिक्षक है। 68 बरस की उम्र हो गई है और आज भी आपकी दिनचर्या सुबह से लेकर शाम तक गांव – गांव मोटरसाइकिल पर सवार होकर , कबाड़ भरकर लाना है। यहां से ट्रकों में कबाड़ बाहर भेजा जाता है।
महीने में औसतन 20 से 25 हजार रुपए की शुद्ध आय हो जाती है आपकी। भोजन होटल में होता है। चाय और बीड़ी का ही केवल व्यसन है। हर घर, हर गांव, हर व्यक्ति को आप पहचानते हैं और हर आस – पास के गांव के लोग आपको पहचानते हैं।
ईमानदारी और मेहनत ही आपकी पहचान है। बाइक पर कुन्तलों कबाड लादकर जब आप चलते हैं तो हर कोई पहचान जाता है कि अब्दुल गफ्फार खान साहब आ रहे हैं।
नागणी 43 वर्षों से आपकी कर्मभूमि है। आप बिजनौर के रहने वाले हैं। आज भी नागणी से बिजनौर का सफ़र आप मोटरसाइकिल से तय करते हैं। राजधानी देहरादून में आपके दो बच्चे जॉब करते हैं उनसे मिलने भी आप बाइक पर ही जाते हैं।
सीधे, सरल, मिलनसार स्वभाव के गफ्फार साहब उम्र के इस पड़ाव पर भी पूरी शिद्दत के साथ अपने काम से मुहब्बत निभा रहे हैं।
आप कहते हैं कभी अपने मन की बात कर लेते हैं कभी दूसरे के मन की सुन लेते हैं। कभी अपनी खुशी तो कभी किसी की का गम बांट लेते हैं इस काम के बहाने——।
आराम का अभी कोई ईरादा नहीं है। गफ्फार साहब के स्वस्थ, दीर्घायु जीवन की शुभकामनाएं।
आइये! वीडियो देखते हैं दोस्तों।