ऋषिकेश(अंकित तिवारी): अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश ने एक और चिकित्सा उपलब्धि दर्ज करते हुए अत्याधुनिक ‘रोबोटिक नी सर्जरी सप्ताह’ का सफल आयोजन किया। सप्ताह भर चले इस विशेष आयोजन के दौरान संस्थान के अस्थि रोग विभाग द्वारा रोबोटिक तकनीक की मदद से कुल 16 घुटनों का सफल प्रत्यारोपण किया गया।
यह आयोजन विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) पंकज कंडवाल एवं अर्थ्रोप्लास्टी यूनिट प्रमुख प्रो. (डॉ.) रूप भूषण कालिया के नेतृत्व में सम्पन्न हुआ। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, रोबोटिक तकनीक पारंपरिक घुटना प्रत्यारोपण की तुलना में अधिक सटीकता, बेहतर लिगामेंट बैलेंसिंग और तेज रिकवरी सुनिश्चित करती है, जिससे मरीजों को दीर्घकालिक लाभ प्राप्त होते हैं। सर्जरी के दौरान 3डी इमेजिंग और कंप्यूटर असिस्टेंस की सहायता से डॉक्टरों को उच्च स्तर की नियंत्रण क्षमता प्राप्त होती है।
इस अवसर पर संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो. (डॉ.) मीनू सिंह ने ‘रोबोटिक नी सर्जरी सप्ताह’ को संस्थान की दिशा में एक मील का पत्थर बताया। उन्होंने अस्थि रोग विभाग की टीम को बधाई देते हुए कहा कि एम्स ऋषिकेश का उद्देश्य हमेशा से उन्नत चिकित्सा तकनीकों को आमजन तक सुलभ कराना रहा है। निदेशक ने यह भी बताया कि संस्थान भविष्य में इस तकनीक को और अधिक व्यापक स्तर पर लागू करने की योजना बना रहा है, जिससे रोगियों को विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकें।
प्रो. कंडवाल ने जानकारी दी कि इस आयोजन के दौरान उत्तराखंड एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आए 10 मरीजों को इस तकनीक का लाभ मिला और यह सुविधा मरीजों को बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के प्रदान की गई। उन्होंने इसे मरीजों के लिए अत्यधिक लाभकारी एवं संस्थान की सामाजिक प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया।
प्रो. (डॉ.) रूप भूषण कालिया ने रोबोटिक तकनीक की कार्यप्रणाली पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह तकनीक पारंपरिक सर्जरी की तुलना में कहीं अधिक सटीक परिणाम देती है, जिससे प्रत्यारोपण की सफलता दर में उल्लेखनीय वृद्धि होती है।
उल्लेखनीय है कि एम्स ऋषिकेश उत्तर भारत के चुनिंदा संस्थानों में शामिल है, जो रोबोटिक तकनीक के माध्यम से नी रिप्लेसमेंट जैसी जटिल सर्जरी को सफलता पूर्वक सम्पन्न कर रहा है। यह आयोजन चिकित्सा क्षेत्र में तकनीकी नवाचार और उत्कृष्टता की दिशा में एक सशक्त पहल माना जा रहा है