टिहरी: जनपद टिहरी गढ़वाल की *नरेंद्र नगर विधानसभा के अंतर्गत* कुसरेला वन क्षेत्र गुज्जर बस्ती शिवपुरी में *इंटरनेशनल गुर्जर महासभा के प्रदेश अध्यक्ष उत्तराखंड मोहम्मद रफी* वन गुर्जर के नेतृत्व में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मोहम्मद रफी वन गुर्जर ने भगवान श्री राम के प्रति पूर्ण आस्था व्यक्त करते हुए कहा कि *भगवान श्री राम जी हमारे भी पूर्वज थे।* गुर्जर नेता मोहम्मद रफी ने इस अवसर पर कहा कि हमारे पूर्वज ही हैं राम। गुर्जर समाज जो वनों में आज भी रहता है इसका कारण यह है कि राम भी वनों में वनवासी के रूप में रहा करते थे। गुर्जर समाज आज भी इसका निर्वहन कर रहा है। मोहम्मद रफी ने कहा कि हम उस समुदाय के सदस्य हैं जो अपने पूर्वजों का मान सम्मान करते हैं।
*श्री मोहम्मद रफी ने गुर्जर समाज को* सम्बोधित करते हुए कहा कि हम गुर्जर समुदाय हालांकि औरंगजेब के जमाने से पहले हिंदू धर्म में थे; फिर धर्म परिवर्तन किया। वन गुर्जर समाज आज भी धर्म के रूप में सूफी मत को मानता है; हमें गर्व है कि *हम सूफी मत को मानने वाले समुदाय से आते हैं।*
मोहम्मद रफी ने कहा कि *वन गुर्जर समाज आज भी कट्टरपंथियों से दूर है और कट्टरपंथ के खिलाफ है।* गुर्जर नेता ने कहा कि वन गुर्जर समाज का जो पारंपरिक कल्चर है, खानपान है, उसको बचाने की आज आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि गुर्जर समाज आज भी नशा, मांस – मछली आदि से दूर है। गुर्जर समाज के विवाह समारोह व अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में शुद्ध दूध की खीर व शाकाहारी भोजन ही परोसा जाता है। सब जातियों को छोड़कर गुर्जर समाज ही खास करके सूफी संत मत अपनाते हैं। रफी ने कहा है कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में राम मंदिर – बाबरी मस्जिद का फैसला हुआ है और उसका हम लोग सम्मान करते हैं।
उन्होंने कहा है कि हमारा देश एक लोकतांत्रिक देश है। और गुर्जर समाज देश के साथ हर समय खड़ा रहता है। महासभा के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद रफी ने कहा कि वन गुर्जर समाज को प्रदेश में वन क्षेत्र में अलग-अलग जगहों पर जाकर जागरूक हमारा काम है। वन में राम वनवासी के रूप में रहा करते थे; हम आज भी वनों में निवास करते हैं।वन गुर्जर समुदाय बहुत सारे रीति रिवाज हिंदू धर्म के ही अपनाते हैं और हम मानते हैं कि राम हमारे पूर्वज हैं। और वन गुर्जर समाज का मानना है कि जितने भी पूर्वज हैं; चाहे वह किसी भी नाम से पुकारे जाते हैं लेकिन वह हमारे ही पूर्वज हैं। उनकी हम औलाद हैं। हमें उनका मान सम्मान करना है और हम लोग करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सन 2002 में कश्मीर के हमारे बकरवाल गुर्जर समाज ने सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया था। कार्यक्रम में उपस्थित जूर हसन, वन गुर्जर वजीर अली, वन गुर्जर यामीन, वन गुर्जर सुलेमान, वन गुर्जर लियाकत अली, वन गुर्जर गुलाम नबी सहित बड़ी संख्या में वन गुर्जर और गुर्जर समाज उपस्थित हुआ।