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*उत्तराखंड आंदोलन के सारथी ढोल वादकों की अनदेखी हुई : डॉ• पवन कुदवान*

ढोल वादकों को उचित मान सम्मान दिलाने, उनके बच्चों की शिक्षा - दीक्षा की व्यवस्था करने और उन्हें रोजगार से जोड़ने के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिएं

“देहरादून”

उत्तराखंड आंदोलन में ढोल वादक आम जनता के साथ उत्साह के साथ अपनी भूमिका का निर्वहन करते रहे लेकिन उत्तराखंड राज्य निर्माण के पश्चात इन ढोल वादकों के उत्तराखंड आंदोलन में योगदान को भुला दिया गया है।

उक्त विचार *शिक्षक एवं सामाजिक चिंतक डॉक्टर पवन कुदवान ने एक साक्षात्कार में व्यक्त किए।* डॉक्टर पवन कुदवान ने विभिन्न मुद्दों पर बेबाकी से अपनी बात रखी। डॉक्टर पवन कुदवान ने कहा कि ढोल वादकों को वह मान सम्मान आज तक नहीं मिला है जिसके वह हकदार हैं। उन्होंने कहा कि *मंदिर के पुजारी और ढोल वादक को एक समान दृष्टि से देखा जाना चाहिए और एक जैसा सम्मान मिलना चाहिए।* डॉक्टर कुदवान ने कहा कि 21वीं सदी के भारत में आज भी सामाजिक विषमता देखने को मिलती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के द्वारा ही समाज में परिवर्तन लाया जा सकता है। डॉक्टर कुदवान ने कहा कि *वह खुद ढोल वादक परिवार से आते हैं इसलिए इस वर्ग की पीड़ा को वह बखूबी समझते हैं। उन्होंने कहा कि ढोल को आज राज्य स्तर, राष्ट्रीय स्तर और यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मान मिल रहा है। ढोल आज लोक संस्कृति का वाहक बन गया है। यह वाद्य यंत्र हमारी संस्कृति की पहचान है, हमारी धरोहर है लेकिन *जो सम्मान आज ढोल को मिल रहा है वह सम्मान ढोल वादकों को आखिर क्यों नहीं मिलता है?* यह विचारणीय प्रश्न है।

डॉ पवन कुदवान ने कहा कि शैक्षिक और आर्थिक आधार मजबूत होने पर समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े लोग जो आगे आ गए हैं उन्हें समाज पूरा मान सम्मान दे रहा है लेकिन जो लोग शिक्षा की दृष्टि से पिछड़े हैं जिनका आर्थिक आधार कमजोर है वे लोग आज भी वह सम्मान नहीं पा रहे हैं जिसके वह हकदार हैं। आज के समय में *सभी वर्गों के लोग ढोल वादन में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना भविष्य तलाश रहे हैं* यह अच्छी बात है; लेकिन लोक की अंतिम पंक्ति में खड़े लोग आज भी वहीं के वहीं हैं। डॉ• पवन कुदवान ने राजनीतिक रूप से सक्षम लोगों पर भी प्रश्न उठाते हुए कहा है कि ढोल वादकों की सामाजिक और आर्थिक प्रगति के लिए यह लोग चिंतन नहीं कर रहे हैं।
डॉ• पवन कुदवान ने सामाजिक संगठनों, सक्षम राजनीतिज्ञों से भी आग्रह किया कि ढोल वादकों को उचित मान सम्मान दिलाने, उनके बच्चों की शिक्षा – दीक्षा की व्यवस्था करने और उन्हें रोजगार से जोड़ने के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिएं। *ढोल वादकों को उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी का दर्जा दिलाए जाने की मांग विधानसभा में उठाने के लिए डॉक्टर पवन कुदवान जी ने *पुरोला के विधायक दुर्गेश लाल जी का आभार व्यक्त किया।*

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