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!!………. नैं पढैं की नैं बात…….!! (लोक साहित्य पर आधारित गढ़वाली लेख) : कमल किशोर डुकलान ‘सरल’

उत्तराखंड//हरिद्वार//रुड़की

शिक्षा बालक की जन्मजात शक्त्यूं कु विकास कैरिकि वैंकू चौमुखी विकास करुण च। जब हम स्कुल्य नोना नौन्यालू की शिक्षै बात कर्दां तो हमरा समणी ऊंकी अगनै की शिक्षा कू एक बृहद स्वरूप अपणा समणी आंद। जैमा नोना नौन्यालू,स्कुल्य अध्यापकु कू स्वभाव अर विद्यालय कु संस्कारक्षम वातावरण,परिवार अर गौं समाज कु बातावरण बालक का बौद्धिक, सामाजिक, नैतिक अर आध्यात्मिक वातावरण का दगड़ा-दगिड़ि वैकी पढैं अर अपणा अध्यापकु कू प्रति सकारात्मक सोच, विद्यालय कु सरल पाठ्यक्रम बालक का चौमुखी का अन्तर्गत वैका शारीरिक, मानसिक,बौद्धिक विकास का दगिणि दगिणि आध्यात्मिक बत्था स्कुल्य नोन नौन्यालु का विकास मा बाल शिक्षा फर अध्यापक हूणा नाता हमरा समिणि पैलि अदन।

पुरणा जमनैं की शिक्षा पद्धति की अगर हम बात कर्दां त पुरा जमनैं शिक्षा आज कि पढैं की तुलना मा काफि उच्चकोटि की पढैं छैं,वैं बगत बालक तैं ऋषिकुल शिक्षा पद्धति मा रैंकि ब्रह्मचर्यव्रत धारण कैरिकि वैका सर्वांगीण विकास पर काफी हदतक ध्यान भि दिये जांदु छौं,अगर हम त्रेतायुगैं बात कर्दां त महर्षि विश्वामित्र का आश्रम अर द्वापर युग मा महर्षि संदीपनि का आश्रम या गुरु द्रोणाचार्य क आश्रम प्राचीन शिक्षा व्यवस्था की पढैं का वास्ता आज भि याद करैं जदन।

नालंदा अर तक्षशिला प्राचीन शिक्षा का केंद्र ऋषिकुल शिक्षा व्यवस्था का विश्वविख्यात विश्वविद्यालय आज हमरा समिणी उच्चकोटि का शिक्षा का वास्ता एक उदहारण क रुप मा छन्। वै वकत इस्कुल्या नौन्यालू पर कापी कितबू कु अनावश्यक बोझ नि होंदु छौं, बालक स्वतंत्र रुप मा प्रकृति अर पर्यावरण का परिवेश मा रैकि अपणा-आप सिखदा छां, ऋषिकुल का गुरु जी बालक का मन-मस्तिष्क मा संस्कार युक्त, नैतिक आदर्श,शुद्ध उच्चारण,समयबद्ध दिनचर्या, नियमितता अर सच्चाई कुं समावेश कर्दा छाई ताकि बालक एक अच्छु मनखी बणीकि तैं अपणा गौं गौला,समाज अर अपणा देश की सेवा करि सकु।
आजकल कि नैं पढै कि अगर हम आज का नै परिवेश मा बात कर्दा त बाल-केन्द्रित शिक्षा का अन्तर्गत बनि-बनिका शिक्षा मा बदलाव भि हूणा छन्,जैमा आदर्शवाद, प्रकृतिवाद अर यथार्थवाद क सिद्धान्तु पर महान शिक्षाविदुन अपणा अध्ययन क आधार पर नै पढैं या बनि बनिका का प्रयोग भी करिन अर नै पढैं नै बात मा भि कर्ना छन्।

भारत सरकार अर राज्य सरकार भि बगत बगत फर बाल केन्द्रित शिक्षा पर समय की मांग का अनुसार काफी कुछ बदलाव भि कर्नी छन अर बालक का सर्वांगीण विकास का वास्ता नै शिक्षा नीति भी बणाणी छन् बक्त की जरुरत का हिसाब से अपणा अध्यापकु का माध्यम से समय-समय पर प्रशिक्षण वर्गुं का द्वारा नै शिक्षा पर नै नै प्रयोग बि हूणा छन्। बाल शिक्षा पर सर्व शिक्षा अभियान की तर्ज पर बनि-बनिका क्रिय-कलांपु मा श्यामपट्ट पर दृश्य चित्रण शिक्षण,चार्ट,प्रदर्शिनी नमूना अर विषय शीर्षक का अनुरूप पर्याप्त सहायक शिक्षण सामग्री नैं पढै नै बात पर प्रयोग क रुप मा लेकि अध्यापकूं का द्वारा अपणु शिक्षण प्रभावी ही नि बणैं जाणूच बल्कि विषय शिक्षण तैं सुगम अर सरल बणौंण कु प्रयास भि हूणूच जु प्रयास बच्चौं पर सार्थक भि हूणूच।

वर्तमान शिक्षा क दगण वर्तमान परिसस्थित्यूं से घालमेल बिठौण क वास्ता बालक की आदतू क अनुस्वार कै प्रकार का पहलू तैं ध्यान मा रखीकि नै शिक्षा नै बात दिए जाणीच। जैमा खेल,हास्य एकांकी, कम्प्यूटर,काव्यावली,गीत, कहानी क द्वारा नै शिक्षा नीति पर नोना नौन्यालू कु पढैं क प्रति लगाव भि बढणूच अर जु वैमा अनावश्यक बस्ता कु बोझ,गुरु जी प्रति भय कु वातावरण च वूं भि समय कि मांग पर काम हुणूच। बालक स्कूल का अलावा घौरम भ नयु उत्साह का दगिणि पढैं पर ध्यान दीणूच।

आजकल की शिक्षा व्यवस्था का स्वरूप अर नैं पढैं नै बात मा अगर ज्ञान-विज्ञान कु जरसि समन्वय करैं जांऊन त आणवला दिनू मा हमरा देश की यीं नै भावी पीढ़ी बनि-बनिका प्रतिभाऊ से परिपूर्ण ह्वै जाली। सुमित्रानंदन पंत, पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल,गबर सिंह, हेमवती नंदन बहुगुणा,बच्छेद्री पाल, जशपाल राणा जना गढ गौरव आज हमरा समिणी एक उदहारण छन्। निश्चित रूप मा इस्कुल्य नोन नौन्याल आत्मोन्नति का दगिणि दगिणि भावी देश का निर्माण मा अपणा गौं गौला अर समाज थैं दिशा देणवला हमरी गरीब जनता कु दुःख अर दरिद्रता तैं जन साधारण क वास्ता मुक्ति दिलाण मा अफुतैं सामर्थशाली बणै साकला अर ये देश क सच्चा नागरिक बणण मा समर्थवान हवाला यी मेरी आज का नोना नौन्यालू तैं सच्ची कामना च।

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