उत्तराखंडयूथशिक्षासामाजिक

देवभूमि के वीर सपूत : श्री देव सुमन संघर्ष, बलिदान और प्रेरणा की अमिट कहानी

श्री देव सुमन का जन्म 25 मई 1916 को टिहरी गढ़वाल के जौल गाँव में हुआ था। उनका पूरा नाम श्री श्रीदेव सुमन था। बचपन से ही वे अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए प्रेरित थे

उत्तराखंड//देहरादून//डोईवाला
संवाददाता (अंकित तिवारी)

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में ऐसे अनेक वीर सपूत हुए जिनकी कहानियाँ सुनकर आज भी हमारा हृदय गर्व से भर उठता है। उत्तराखंड की पावन भूमि भी ऐसे ही महान सपूतों की जननी रही है। उन्हीं में से एक हैं श्री देव सुमन, जिनकी अदम्य साहस और बलिदान की गाथा हमें सदैव प्रेरित करती रहेगी।

श्री देव सुमन का जन्म 25 मई 1916 को टिहरी गढ़वाल के जौल गाँव में हुआ था। उनका पूरा नाम श्री श्रीदेव सुमन था। बचपन से ही वे अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए प्रेरित थे। उनकी शिक्षा भी इसी दिशा में हुई और उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने का संकल्प लिया।
श्री देव सुमन ने टिहरी रियासत के अत्याचारी नरेश के खिलाफ आवाज उठाई और जनता के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। उन्होंने टिहरी प्रजामंडल की स्थापना की और लोगों को संगठित कर उनके हक के लिए लड़ाई लड़ी। उनका संघर्ष केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक सुधारों की दिशा में भी था।
श्री देव सुमन को टिहरी रियासत की सरकार ने गिरफ्तार कर लिया और उन पर कई तरह के अत्याचार किए। उन्होंने अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया और अंतिम समय तक अपनी मांगों पर अडिग रहे। 25 जुलाई 1944 को श्री देव सुमन ने जेल में भूख हड़ताल करते हुए अपने प्राण त्याग दिए। उनका यह बलिदान स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ गया।
आज, श्री देव सुमन की पुण्यतिथि पर हम उन्हें कोटि-कोटि नमन करते हैं। उनका संघर्ष, साहस और बलिदान हमें सदैव प्रेरणा देते रहेंगे। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्चाई और न्याय के मार्ग पर चलने वाले कभी हारते नहीं। उत्तराखंड और समस्त भारतवर्ष के लिए उनका योगदान अमूल्य है।
श्री देव सुमन के बलिदान को स्मरण करते हुए, हम सभी को उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। उनकी पुण्यतिथि पर हम सब मिलकर यह प्रतिज्ञा करें कि उनके सपनों के भारत के निर्माण के लिए हम भी अपना योगदान देंगे।
*(इस लेख के लेखक अंकित तिवारी, शोधार्थी, अधिवक्ता एवं पूर्व विश्वविद्यालय प्रतिनिधि हैं।)*

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button