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कारगिल विजय दिवस भारतीय सैनिकों के पराक्रम की अविस्मरणीय शौर्य गाथा : कमल किशोर डुकलान ‘सरल’

उत्तराखंड//देहरादून हरिद्वार//रुड़की

प्रतिवर्ष 26 जुलाई को कारगिल विजय शौर्य दिवस मनाते समय प्रत्येक भारतीय को राष्ट्रीय जीवन मूल्यों को नई दिशा प्रदान करने एवं देश की एकता और अखंडता को अक्षुण रखने की शपथ लेनी होगी।…

सन् 1999 का कारगिल युद्ध भारतीय सेना के पराक्रम और शौर्य की अमर और अमिट गाथा है,जिसे भुलाया नहीं जा सकता है। 25 वर्ष पर्व भारतीय पराक्रमी सैनिकों ने पाकिस्तानी सेना का मुंहतोड़ जवाब देकर अद्भुत विजय हासिल की। कारगिल युद्ध कई मायनों में अलग था। यह युद्ध इसलिए भी अलग था,क्योंकि सीमा पर तैनात हमारे भारतीय वीर सैनिकों को यह पता नहीं था कि लेह लद्दाख की सीमा पर दुश्मन कितनी संख्या में है और किस प्रकार के हथियारों से लैंस हैं। लेह लद्दाख की भारतीय सीमा को राज्य के उत्तरी इलाके से अलग करने के उद्देश्य से की गई इस घुसपैठ ने भारतीय सेना को चौंका दिया था।
यह घुसपैठ लगभग उस समय हुई जब भारत-पाकिस्तान के बीच चल रही तनातनी को कम करने के लिए दोनों देशों ने फरवरी,सन् 1999 में लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के अनुसार दोनों देशों ने कश्मीर मुद्दे को आपसी बातचीत से सुलझाने पर सहमति बनाई, लेकिन पाकिस्तान ने समझौते का उलंघन कर धोखाधड़ी का अपना स्वभाव नहीं छोड़ा और अपने सैनिकों को चोरी-छिपे नियंत्रण रेखा पार कर भारत भेजना शुरू कर दिया। इसे पाकिस्तान ने ‘ऑपरेशन बद्र’ नाम दिया। इसके पीछे उसकी मंशा कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़कर भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था।
उस समय के भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने सीमा पार कर घुसपैठी पाकिस्तानी सेना की मंशा को पहचाना और तत्काल कार्रवाई शुरू कर दी। जिसे ‘ऑपरेशन विजय’ नाम दिया गया। उस समय लेह लद्दाख सीमा पर करीब दो लाख सैनिक मोर्चे पर भेजे गए थे। दुर्गम परिस्थितियों में भारतीय सेना की रणनीति, सेना के सभी अंगों के समन्वय और अद्भुत साहस के परिणामस्वरूप भारत को कारगिल विजय प्राप्त हुई। कारगिल विजय से यह सिद्ध हुआ कि भारतीय सेना के जवान सीमाओं की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान देने में हर समय तत्पर रहते हैं।

हम जानते हैं कि पिछले वैश्विक महामारी के बीच चीन और भारत के बीच जिस तरह से सीमा विवाद पर हुए संघर्ष में भारत जिस आक्रमक रुप से चीन पर हावी हुआ वह कारगिल विजय की ही सीख का परिणाम देखा जा सकता है। कारगिल युद्ध के बाद भारत ने जिस तरह से रक्षा के क्षेत्र में अपनी सैन्य शक्ति को हथियारों से लेकर प्रशिक्षण तक अपने आयामों को कई गुना बढ़ाया है। वहीं सुखोई,नए मिग,राफेल,अत्याधुनिक रडार सिस्टम एवं अंतरिक्ष में उपग्रहों के जाल ने परिदृश्य ही बदल दिया है।
पाक सीमा पर पिछले कुछ दिनों से आतंकी गतिविधियों की सक्रियता देखी जा रही है इसके बाबजूद भी हमारी भारतीय सेना के जवान पाक सीमा पर बड़ी मुस्तैदी से दुश्मनों का मुकाबला करने के लिए डटे हैं। निश्चित तौर पर हमारी भारतीय सेना आतंकियों का इस बार भी मुंहतोड़ जवाब देगी। आज भारतीय सैनिक पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों पर सीधी नजर रखे हुए हैं।

आज भी कारगिल युद्ध के दिनों की यादें ताजा हैं। तब लोग सड़कों पर निकल कर सैनिकों का सम्मान करते थे। तिरंगे के पीछे लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता था, मानो पूरा देश एकजुटता के साथ आतंकियों से युद्ध लड़ रहा हो।
कारगिल युद्ध विजय दिवस को मनाते समय हमें देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने की शपथ लेनी चाहिए। वर्तमान समय में परस्पर प्रेम भाईचारा और सामाजिक समरसता, सद्भाव के जिस नए युग का हम सूत्रपात करेंगे वह हमारे राष्ट्रीय जीवन मूल्यों को नई दिशा प्रदान करेगा। यही हमारी भारतीय परंपरा एवं संस्कृति का मूल मंत्र भी रहा है।
माँ भारती के सपूतों के साहस, वीरता और बलिदान के प्रतीक कारगिल विजय दिवस पर सेना के सभी जवानों के शौर्य और साहस को कोटि-कोटि नमन।

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