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“सरस” साहित्यकार : रामकृष्ण पोखरियाल जी

ऋषिकेश (14 बीघा) मां गंगा तट निवासी शिक्षाविद एवं साहित्यकार मां सरस्वती जिनकी वाणी में सदा वास करती है ऐसे विद्वत जन “सरस”उपनाम से विख्यात साहित्यकार “रामकृष्ण पोखरियाल जी” हर महफिल में चार चांद लगा देते हैं समा बांध देते हैं।
आप दर्जनभर से अधिक सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं और कुशल एवं प्रख्यात मंच संचालक हैं। आपकी बोली – भाषा की मिठास से जो ताजगी, ऊर्जा और स्फूर्ति मिलती है वह अवर्णनीय है। साहित्य शिक्षा कला संस्कृति राजनीति हर क्षेत्र में आप सक्रिय रहते हैं। आपकी सामाजिक सक्रियता का लाभ हर वर्ग तक पहुंचता है।

आकाशवाणी और दूरदर्शन के माध्यम से भी हम आपकी रचनाओं का रसपान करते हैं। संस्कृत के प्रकांड पंडित सरल, सहज व्यक्तित्व के धनी, कोकिल कंठी वाणी के वक्ता, प्रसन्न वदन, माता – पिता द्वारा रखे गए सदा उच्चारणीय सुंदर नाम जिसमें भगवान राम और भगवान कृष्ण दोनों का स्मरण हो जाता है ; ऐसे समाजसेवी “रामकृष्ण पोखरियाल जी” को सादर नमन वंदन और अभिनंदन।
यूट्यूब लिंक-https://youtu.be/T2KV0XXG29I
यूट्यूब चैनल लिंक-https://youtube.com/@ajgramin5721

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