उत्तराखंड//देहरादून
के के डुकलान की कलम से
आये दिन देशभर में हो रहे किसी भी तरह के अपराधों पर जब अपराधियों को यथाशीघ्र कठोर दंड मिलता है तब वे हतोत्साहित होते हैं। नारी अस्मिता को कुचलने वाले दुष्कर्म सरीखे गंभीर अपराध में लिप्त तत्वों को जितनी जल्दी संभव हो कठोर दंड दिया जाना सुनिश्चिता के साथ ही यह भी देखा जाना चाहिए कि उस दूषित मानसिकता का निदान कैसे हो जिसके कारण महिलाओं को हेय दृष्टि से देखा जाता है।…..
पश्चिम बंगाल सहित पूरे देशभर में आये दिन महिलाओं के विरुद्ध हो रहे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जिला अदालतों के राष्ट्रीय सम्मेलन में महिला अपराधों की ओर ध्यान आकृष्ट किया है,जो कि बिल्कुल सही किया। देशभर में आये दिन हो रहे महिला अपराध इसलिए भी कहीं अधिक गंभीर चिंता जनक हैं,क्योंकि निर्भया गैंगरेप के बाद महिला अपराध रोकने के अनेक प्रयासों के बाद भी उनमें कमी आती नहीं दिख रही है।
कोलकाता के आर.जी कर मेडिकल कालेज अस्पताल में प्रशिक्षु महिला चिकित्सक की दुष्कर्म के बाद हत्या ने सारे देश को आक्रोशित करने का काम किया,लेकिन इसके बाद भी उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर,देहरादून, अल्मोड़ा के सल्ड,रुद्रप्रयाग आदि स्थानों पर महिला
दुष्कर्म के मामले थमते नहीं दिख रहे हैं। कोलकाता की घटना को लेकर हर स्तर पर रोष और आक्रोश के बाद भी देश के हर हिस्से से दुष्कर्म की घटनाएं सामने आ रही हैं। इन घटनाओं की गिनती करना भी कठिन है। स्थिति यह है कि दुष्कर्मी बच्चियों तक को अपनी हवश का शिकार बना रहे हैं।
पश्चिम बंगाल में कोलकाता के साथ देश के अन्य क्षेत्रों में आये दिन हो रही दुष्कर्म की घटनाओं को देखते हुए कानूनों को कठोर बनाने और अपराधियों को सख्त सजा देने की जो मांग की जा रही है, उसकी पूर्ति की ही जानी चाहिए, लेकिन इसी के साथ इसकी भी आवश्यकता है कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के मामलों में त्वरित न्याय हो। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के जिला अदालतों के राष्ट्रीय सम्मेलन में महिला अपराधों की ओर ध्यान आकर्षण के विचार से असहमत नहीं हुआ जा सकता क्योंकि देश में न्याय मिलने की गति इतनी धीमी है, जिससे अपराधी को सजा मिलना मुश्किल है। अदालतों में न्याय जितनी तेजी से मिलेगा, महिलाओं को अपनी सुरक्षा को लेकर उतना ही अधिक भरोसा होगा। इतना ही नहीं, इससे महिलाओं के खिलाफ अपराधों को अंजाम देने वाले तत्वों के मन में भय का संचार भी होगा।
यह एक तथ्य है कि जब अपराधियों को यथाशीघ्र कठोर दंड मिलता है, तब वे हतोत्साहित होते हैं। नारी अस्मिता को कुचलने वाले दुष्कर्म सरीखे गंभीर अपराध में लिप्त तत्वों को जितनी जल्दी संभव हो, कठोर दंड दिया जाना सुनिश्चित करने के साथ ही यह भी देखा जाना चाहिए कि उस दूषित मानसिकता का निदान कैसे हो, जिसके कारण महिलाओं को हेय दृष्टि से देखा जाता है और जिसके चलते दुष्कर्म सरीखे अपराध होते हैं।
इस मानसिकता को दूर करने का काम समाज को करना होगा और इसकी शुरुआत घर-परिवार से करनी होगी। बच्चों और किशोरों को इसकी घुट्टी पिलानी होगी कि वे लड़कियों और महिलाओं का आदर करना सीखें। यह ठीक है कि लड़कियों को तरह-तरह की सीख दी जाती है, लेकिन ऐसी ही सीख लड़कों को भी दी जानी चाहिए।
इसमें माता-पिता, परिवार के अन्य सदस्यों के साथ शिक्षकों की भी भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। समाज को उन तत्वों के प्रति भी सजगता बढ़ानी होगी, जो महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के लिए संभावित खतरा बनते हुए दिखते हैं। ऐसे तत्वों के बारे में पुलिस को लगातार सूचना दी जानी चाहिए। समाज ऐसा करने के लिए तत्पर रहे, इसके लिए पुलिस को सहयोग करने के साथ ही संवेदनशील भी बनना होगा। समाज के हिस्से में एक आवश्यक काम यह भी है कि वह महिला अपराधों,सशक्तीकरण को लेकर सरकारों से लेकर समाज को होना होगा और अधिक सक्रिय तभी आये दिन देशभर में हो रहे महिला अपराधों पर अंकुश सम्भव है।