टिहरी//सकलाना//आनन्दचौक
बहुमत से ज्यादा विधायक प्रधानाचार्य पदों पर पदोन्नति की सहमति लिखित रूप में दे चुके हैं फिर वही *#प्रधानाचार्य_टेढ़ी_भर्ती का राग क्यों? हमारी एक ही मांग है कि जैसे विधायक बनना ही मंत्री पद की अर्हता बन जाती है ठीक वैसे ही *हमारा माध्यमिक का शिक्षक बन जाना ही प्रधानाचार्य की अर्हता बन जाती है।*प्रधानाचार्य सीमित सीधी भर्ती हमें किसी भी दशा में स्वीकार नहीं है। उक्त बात शिक्षक अनिल बडोनी जी ने कही है।
श्री बडोनी ने कहा कि प्रांतीय कार्यकारिणी के आह्वान पर जनपद के सफल धरने जब सिद्ध कर चुके हैं कि लगभग सभी शिक्षक (कुछ जो बहुत जल्दी में हैं उन्हें छोड़कर) इसके विरोध में हैं तो फिर ये जिद किसके लिए? बार बार कहते हो की शिक्षक कोर्ट से केस वापस लें तो आपसे ही सीधा प्रश्न है कोर्ट शिक्षक गए किसकी गलतियों से?सजा गलती करने वालों को मिलनी चाहिए या उस गलती से परेशान शिक्षकों को? *जिन्होंने वरिष्ठता का गलत निर्धारण किया है* उन्हें ढूंढने का काम किसका है?वरिष्ठता सुधारने का काम किसका है? अब जो ये एलटी के 15 वर्षों का झुनझुना हमें पकड़ाने की कोशिश हो रही है हम इससे भटकने वाले नही।हम उनमें नही जो सांचे में जबरदस्ती घुसने की कोशिश करें।हम उसी सांचे में वक्त के साथ ढल जायेंगे जिसके लिए हम बने हैं।मैं अपने संगठन से अपील करता हूं की इस भर्ती के निरस्तीकरण से नीचे कुछ भी मंजूर नही।और हां जो अब भी संघ के विरोध में खड़े हैं तो उनसे सीधा प्रश्न क्या आप संघ की लड़ाई से आगे मिलने वाली किसी भी सुविधाओं को लेने से इनकार करने की घोषणा कर पाओगे? क्या अब आगे से एसoएलo नहीं लोगे? क्या आप संगठन की सदस्यता पर मिले सीसीएल को पर्सनल लोन में बदल पाओगे? क्या आप प्रभारी को मिले डीडीओ पॉवर को छोड़ आम शिक्षक की तरह कार्य करोगे?संगठन से अपील है की अब जब लड़ाई निर्णायक दौर से गुजर रही है और जो अभी भी संगठन के साथ खड़े नही हैं उनकी सदस्यता और उन्हें संगठन की लड़ाई से मिली किसी भी सुविधा पर पुनर्विचार किया जाए।यदि आज ऐसा नही किया तो कल अन्य साथियों को भी संगठन के विरुद्ध जाने का साहस मिलेगा।
#जय_राजकीय_शिक्षक_संघ