उत्तराखंड(अंकित तिवारी)- शिल्पी कुकरेती, जिन्हें लोग क्राफ्ट क़्वीन , क़्वीन ऑफ केक्स,रिदम क़्वीन आदि नामों से जानते है। देवभूमि उत्तराखंड के देहरादून जिले के जॉलीग्रांट की एक युवती, आज के समय में युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर उभरी हैं। जहाँ अधिकांश लोग जीवन की चुनौतियों के सामने हार मान लेते हैं, वहीं शिल्पी ने अपने संघर्ष और हिम्मत से खुद की एक नई पहचान बनाई। 2017 में बीएससी नर्सिंग की शिक्षा प्राप्त कर, कैंसर अनुसंधान संस्थान, हिमालयन अस्पताल में दो साल तक बतौर पंजीकृत नर्स काम करने के बाद, शिल्पी को एसएलई ऑटोइम्यून डिसऑर्डर का सामना करना पड़ा। जिसने उन्हें कोविड प्रकोप के समय अपनी नौकरी छोड़ने पर मजबूर कर दिया, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
जीवन में हर चुनौती एक नए अवसर का द्वार खोलती है, और शिल्पी ने भी इसे सच कर दिखाया। नर्सिंग छोड़ने के बाद, उन्होंने एक नया रास्ता चुना और अपने होम बेकिंग करियर की शुरुआत की। यूट्यूब से केक और कपकेक बनाने की कला सीखी और धीरे-धीरे ऑर्डर मिलने लगे। इस साल 3 जून को उन्होंने “स्वीटस्पॉट बाय शिल्पी” नाम से अपना बेकरी आउटलेट खोला, जो जॉलीग्रांट में स्थित है। शिल्पी की यह पहल न केवल उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह साबित करती है कि कठिन परिस्थितियों में भी इंसान अपनी रचनात्मकता और मेहनत से नयी ऊँचाइयों को छू सकता है।
शिल्पी की कहानी सिर्फ बेकिंग तक ही सीमित नहीं है। वे पिछले पांच वर्षों से नृत्य और ज़ुम्बा की ट्रेनर भी हैं, और इसके साथ-साथ एक ऑनलाइन क्राफ्ट स्टोर भी चला रही हैं, जहाँ अनुपयोगी वस्तुओं से उपयोगी और आकर्षक चीजें बनाई जाती हैं। यह स्टोर भी उनकी रचनात्मकता और स्वावलंबन की मिसाल है, जो युवाओं को नए रास्ते तलाशने के लिए प्रेरित करता है।
शिल्पी कुकरेती की कहानी एक महत्वपूर्ण संदेश देती है – जीवन में चुनौतियाँ आती हैं, लेकिन अगर हमारे पास दृढ़ संकल्प और हौसला है, तो कोई भी मुश्किल हमें रोक नहीं सकती। उनकी यह यात्रा उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो किसी न किसी कारणवश अपने सपनों को पूरा करने में झिझकते हैं। शिल्पी की सफलता यह बताती है कि यदि आपमें जुनून है, तो परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी विपरीत क्यों न हों, आप अपनी मंज़िल तक पहुँच सकते हैं।
शिल्पी कुकरेती न केवल अपने काम से, बल्कि अपने जीवन के हर पहलू से एक मिसाल पेश कर रही हैं। उनके जज्बे और मेहनत ने यह साबित कर दिया है कि यदि मन में ठान लिया जाए, तो असंभव कुछ भी नहीं है।