ऋषिकेश(अंकित तिवारी )- देवभूमि उत्तराखंड न केवल अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां की प्राकृतिक सौंदर्यता भी देश-विदेश के लोगों को आकर्षित करती है। विशेष रूप से योग नगरी ऋषिकेश, जहां गंगा के पवित्र तट पर बसे हुए आश्रम और वनस्पतियों से घिरे पहाड़ एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करते हैं। वर्तमान में, बरसात के बाद की हरियाली ऋषिकेश की भूमि को और भी आकर्षक बना रही है। चारों ओर फैली हरियाली और स्वच्छ वातावरण मानसिक और शारीरिक शांति प्रदान करते हैं।
ऋषिकेश के प्राकृतिक सौंदर्य को निहारते हुए एम्स ऋषिकेश की जूनियर रेसिडेंट डॉक्टर वर्षा धोलिया का कहना है कि प्रकृति के ये मनमोहक दृश्य न केवल मन को सुकून देते हैं, बल्कि जीवन के तनाव को भी कम करने में मदद करते हैं। उनके लिए यह एक दैनिक प्रथा बन चुकी है कि वे अपनी व्यस्त दिनचर्या से समय निकालकर प्रकृति के इस सौंदर्य को निहारें और उसे अपने मोबाइल में कैद करें। वर्षा कहती हैं, “यहाँ की हरियाली और ताजगी मुझे एक नयी ऊर्जा प्रदान करती है। जब भी मैं थकान महसूस करती हूँ, तो बस इन दृश्यों को देखकर मेरे मन में एक नई उमंग जाग उठती है।”
वर्षा के विचार यह दर्शाते हैं कि कैसे प्रकृति मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करती है। आज के भागदौड़ भरे जीवन में, जब लोग शहरों की भीड़ और प्रदूषण से त्रस्त हैं, तब उत्तराखंड जैसे स्थानों की शांति और हरियाली एक नई आशा और ऊर्जा का संचार करती है। ऋषिकेश का यह प्राकृतिक सौंदर्य हमें एक संदेश भी देता है कि हमें अपनी धरती और पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए सतत प्रयास करने चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस अद्भुत उपहार का आनंद ले सकें।
वर्षा धोलिया जैसे लोग, जो प्रकृति के इस सौंदर्य को न केवल अनुभव करते हैं, बल्कि उसे दूसरों तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं, वे पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। आज की पीढ़ी को यह समझने की जरूरत है कि हमारी जीवनशैली जितनी प्राकृतिक होगी, उतना ही हम स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी पाएंगे।
प्राकृतिक सुंदरता के साथ जीने की यह आदत न केवल व्यक्तिगत संतुलन प्रदान करती है, बल्कि समाज को भी यह सिखाती है कि प्रकृति के साथ तालमेल बिठाना कितना आवश्यक है। उत्तराखंड की यह हरियाली हमें यह सिखाती है कि प्रकृति से जुड़कर हम अपने जीवन को और भी अधिक सार्थक बना सकते हैं।
ऋषिकेश की हरियाली न केवल देखने वालों को प्रसन्न करती है, बल्कि यह हमें एक महत्वपूर्ण संदेश भी देती है—प्रकृति से प्रेम करें, उसका सम्मान करें और उसे संरक्षित रखें।