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उत्तराखंड में रेगुलर पुलिस की भागीदारी हो : कमल किशोर डुकलान

जिस तरह से पहाड़ी शांत वादियों में शातिरों की हलचल बढ़ती जा रही है,उसे देखकर अब जरूरी हो गया है कि पहाड़ी जिलों में कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी रेगुलर पुलिस को सौंपी जाए।……

उत्तराखंड देश का शायद अकेला राज्य है जहां आज भी ब्रिटिश काल के जमाने से चली आ रही राजस्व पुलिस व्यवस्था कायम है। पृथक पर्वतीय राज्य भौगोलिकता में सुरक्षा की दृष्टि से अति संवेदनशील तो हैं ही साथ बदलते दौर में आये दिन हो रहे अपराधों पर अंकुश लगाने में ब्रिटिश काल से चली आ रही राजस्व पुलिस व्यवस्था कारगर सिद्ध नहीं हो पा रही है। उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में लंबे समय से इस व्यवस्था में बदलाव की बात उठ रही है। अभी ताजा-ताजा चीला स्थित वनन्तरा रिजोर्ट में हुए अंकिता भण्डारी हत्याकांड पर राजस्व क्षेत्र के उप निरीक्षक द्वारा लगातार पांच दिनों तक प्राथमिकी दर्ज न करने पर राज्य की माननीया विधानसभा अध्यक्षा के माननीय मुख्यमंत्री को अपने खुले पत्र में यह मांग करना कि सम्पूर्ण उत्तराखण्ड को सुरक्षा की दृष्टि से राजस्व पुलिस की अपेक्षा रेगुलर पुलिस में परिवर्तित करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। माननीय विधानसभा अध्यक्ष महोदया की इस मांग का सोशल मीडिया पर जन समर्थन भी मिल रहा है। आवश्यकता है वर्तमान सरकार को पृथक पर्वतीय राज्य उत्तराखंड को सुरक्षा की दृष्टि से अति संवेदनशील क्षेत्र को राजस्व पुलिस से रेगुलर पुलिस में परिवर्तित करने की माननीय उच्च न्यायालय भी सुरक्षा की दृष्टि से इस अति संवेदनशील क्षेत्र को राजस्व पुलिस से रेगुलर पुलिस में परिवर्तित के लिए राज्य सरकार को आदेशित कर चुका है।
दरअसल ब्रिटिश सरकार ने सौ साल पहले राजस्व कर वूसली से जुड़े कर्मचारियों को पुलिस के अधिकार देकर कानून-व्यवस्था के संचालन का दायित्व भी सौंपा था। शायद तब के लिए ब्रिटिश सरकार का यह फैसला दुरुस्त रहा हो ब्रिटिश काल में पहाड़ों में यदा-कदा ही अपराध के बारे में कुछ सुनाई देता था।
सन् 1956 में बनें राजस्व पुलिस एक्ट का उत्तराखंड बनने के बाद सन्2011 में संशोधन हुआ जैसे परिवर्तित कर रेवेन्यू पुलिस एक्ट अस्तित्व में आया। रेवेन्यू पुलिस एक्ट बना तो दिया गया, लेकिन आज तक कैबिनेट के सामने पेश नहीं किया गया। हालांकि अब भी मैदानी क्षेत्रों की तुलना में पहाड़ शांत हैं, लेकिन राज्य बनने के बाद शांत वादियों में शातिरों की हलचल महसूस की जाने लगी है। चोरी और लूट के साथ ही हत्या जैसे जघन्य अपराध भी अधिक मात्रा में यहां दर्ज किए जाने लगे हैं। दूसरी ओर पुलिस का कार्य देख रही राजस्व पुलिस के पास न तो शातिरों से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं और न ही पर्याप्त स्टाफ। साथ ही राजस्व पुलिस चच्चे रसूखदार लोगों के प्रभाव होने के कारण न्याय की आस में लगे फरियादी को समुचित न्याय मिलने में काफी लम्बे समय का इंतजार करना पड़ता है। भौगोलिक विकट परिस्थितियों के कारण पहाड़ आवागमन की असुलभता काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अंकिता भण्डारी हत्याकांड में जिस तरह से राजस्व उप निरीक्षक का हत्या आरोपी के प्रभाव में आने से फरियादी अंकिता भण्डारी के पिता को पिछले 18 सितम्बर से 22 सितम्बर तक अपनी प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए पटवारी चौंकी के चक्कर काटने के बाद भी राजस्व पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई इसके यह प्रतीत होता है कि इस सूचना प्रौद्योगिकी के युग में सम्पूर्ण उत्तराखण्ड को राजस्व पुलिस की अपेक्षा रेगुलर पुलिस में बदलने की आवश्यकता महसूस हो रही है। विधानसभा अध्यक्ष महोदया का इस सम्बन्ध में माननीय मुख्यमंत्री को लिखा वायरल खुला पत्र सरकार की विवेचना के लिए महत्वपूर्ण पत्र है। इसको आगामी विधानसभा सत्र में एक विधेयक के रूप में लगाकर इसे विधानसभा में पारित कराकर इसे कानूनी शक्ल देनी की आवश्यकता है।

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