उत्तराखंडमनोरंजनयूथशिक्षासामाजिक

गढ़वाली बोली में आत्मीयता: कविता डबराल

 

उत्तराखंड (अंकित तिवारी): कोटी की बेटी और नागणी की ब्वारी(बहू) कविता डबराल, एक ऐसी प्रेरणास्रोत महिला हैं जो अपनी बोली गढ़वाली में न केवल गर्व से बातचीत करती हैं, बल्कि अन्य लोगों को भी अपनी भाषा के प्रति प्रेम और सम्मान जागृत करने के लिए प्रेरित करती हैं। समाजशास्त्र में मास्टर डिग्री प्राप्त करने के बाद, पिछले एक दशक तक वह विधिक सेवा प्राधिकरण, नई टिहरी में पैरा-लीगल वॉलिंटियर के रूप में सक्रिय रही हैं। इस भूमिका में वह समाज जागरूकता और सेवा कार्यों में उल्लेखनीय योगदान दे रही हैं।

गढ़वाली भाषा और सामाजिक जागरूकता: कविता डबराल का मानना है कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर और पहचान है। आधुनिक समाज में, विशेष रूप से पहाड़ी इलाकों में, बोली भाषा का लोप होना एक गंभीर समस्या बन गई है। वह कहती हैं, “हमारी नई पीढ़ी अपनी मातृभाषा से दूर होती जा रही है। गढ़वाली बोली का इस्तेमाल कम होने से हमारी जड़ों से जुड़ाव भी कम हो रहा है।”

महिलाओं की स्थिति और संवैधानिक अधिकारों का दुरुपयोग: महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर चर्चा करते हुए डबराल ने कहा कि महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना आवश्यक है। हालांकि, उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि “महिलाओं को अपने संवैधानिक अधिकारों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।” उनका मानना है कि सशक्तिकरण का सही अर्थ तभी पूर्ण होगा जब महिलाएं अपने अधिकारों का जिम्मेदारी से उपयोग करेंगी।

टूटते परिवार और नशे की समस्या: कविता डबराल ने पहाड़ी क्षेत्रों में बढ़ते तलाक के मामलों और घरों के टूटने पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “पहाड़ों में तलाक की बातें पहले सुनने को नहीं मिलती थीं, लेकिन अब तालमेल की कमी के कारण परिवार टूट रहे हैं। यह चिंता का विषय है।” उन्होंने नशे की बढ़ती प्रवृत्ति को लेकर भी गंभीर चिंता जताई। “आज हमारी युवा पीढ़ी विभिन्न प्रकार के नशे की गिरफ्त में है, जिससे उनका भविष्य अंधकारमय हो रहा है।”

समाज के प्रति जागरूकता का आह्वान: डबराल का मानना है कि एक स्वस्थ और सशक्त समाज के निर्माण के लिए हमें जागरूक होना पड़ेगा। उन्होंने कहा, “अगर हम अपने परिवार, अपनी भाषा और समाज के प्रति जिम्मेदारी से कार्य करेंगे, तो हम आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर भविष्य दे सकेंगे।”

समाज सेवा की प्रेरणा: अपने परिवार की जिम्मेदारियों को निभाते हुए, कविता डबराल समाज सेवा के क्षेत्र में भी सक्रिय रहती हैं। खेती-बाड़ी और पारिवारिक कार्यों के बीच उन्होंने समाज की कई चुनौतियों को देखा और महसूस किया, और समाज के विकास के लिए वह लगातार प्रयासरत हैं।

कविता डबराल के इस विचारशील और स्पष्ट दृष्टिकोण ने पहाड़ी समाज की समस्याओं पर एक महत्वपूर्ण रोशनी डाली है। उनकी सोच और प्रयास न केवल गढ़वाली बोली को पुनर्जीवित करने की दिशा में सहायक हैं, बल्कि महिलाओं के सशक्तिकरण और स्वस्थ समाज निर्माण में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button