देहरादून(अंकित तिवारी): उत्तराखण्ड राज्य के निराश्रित बच्चों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मांग उठाई गई है। डीएलएड प्रशिक्षुओं जिनमें सुरेश रतूड़ी, गौरव कुकरेती, नवीन, तारा दत्त और अरविंद शामिल हैं, ने महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य को ज्ञापन सौंपते हुए उत्तराखण्ड राज्य शिक्षक पात्रता परीक्षा में निराश्रित बच्चों के लिए क्षैतिज आरक्षण के तहत न्यूनतम अर्हता अंक में छूट देने की अपील की है।
ज्ञापन में यह उल्लेख किया गया है कि अन्य वर्गों जैसे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, दिव्यांग, पूर्व सैनिक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आदि को यूटीईटी परीक्षा में न्यूनतम अर्हता अंक में छूट दी गई है, लेकिन निराश्रितों को इस लाभ से वंचित रखा गया है। जबकि राज्य की अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में निराश्रित बच्चों के लिए 35 प्रतिशत न्यूनतम अर्हता अंक का प्रावधान है।
ज्ञापनकर्ताओं ने इस बात का भी उल्लेख किया कि इससे पहले उत्तराखण्ड पात्रता परीक्षा यू-सेट में भी निराश्रित बच्चों को आरक्षण नहीं दिया गया था, लेकिन बाद में यू-सेट में उन्हें आरक्षण का लाभ प्रदान किया गया था। इसी तरह, यू०टी०ई०टी 2024 में भी निराश्रित बच्चों के लिए 35 प्रतिशत न्यूनतम अर्हता अंक का प्रावधान किए जाने की माँग की गई है।
इस माँग को उठाते हुए उन्होंने राज्य सरकार से अनुरोध किया कि निराश्रित बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए उनके हितों की रक्षा की जाए और उन्हें भी अन्य आरक्षित वर्गों के समान अवसर प्रदान किया जाए।