उत्तराखंड(अंकित तिवारी):हर वर्ष 12 मई को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है, यह दिन आधुनिक नर्सिंग की जननी मानी जाने वाली फ्लोरेंस नाइटिंगेल की जयंती को समर्पित है। वर्ष 2025 में इस दिवस की थीम ” हमारी नर्सें। हमारा भविष्य। नर्सों की देखभाल से अर्थव्यवस्था मजबूत होती है ” । घोषित की गई है, जो यह दर्शाती है कि नर्सिंग न केवल स्वास्थ्य सेवा की रीढ़ है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास की प्रेरक शक्ति भी बन चुकी है।
नर्सिंग केवल एक पेशा नहीं है—यह एक तपस्या है। यह वह सेवा है जो निस्वार्थ भाव से, बिना किसी भेदभाव के, दिन-रात रोगियों की देखभाल करती है, उन्हें जीवनदान देती है और उनके दर्द को बांटती है। कोरोना महामारी के दौरान पूरी दुनिया ने देखा कि किस तरह नर्सों ने जीवन की परवाह किए बिना मानवता की रक्षा में अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया। वे अस्पतालों की चुपचाप काम करती वो ‘सफेद साड़ियों में देवियाँ’ थीं, जिनका योगदान शब्दों से परे है।
भारत जैसे विशाल देश में, जहाँ स्वास्थ्य संसाधनों की कमी एक बड़ी चुनौती है, वहाँ नर्सों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। वे डॉक्टरों का दायाँ हाथ ही नहीं, बल्कि ग्रामीण व दूरस्थ क्षेत्रों में अक्सर प्रथम संपर्क बिंदु भी होती हैं। नर्सें न केवल शारीरिक उपचार करती हैं, बल्कि रोगियों को मानसिक और भावनात्मक सहारा भी देती हैं।
अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस 2025 का यह अवसर हमें यह सोचने पर भी मजबूर करता है कि क्या हम अपनी नर्सों को वह सम्मान, वे सुविधाएँ और वह वेतन दे पा रहे हैं जिसकी वे वास्तव में हकदार हैं? क्या हमारे नर्सिंग संस्थान पर्याप्त संसाधनों से लैस हैं? क्या ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत नर्सों को सुरक्षित एवं गरिमामय कार्य परिवेश मिल रहा है?
यह समय है कि सरकार, समाज और निजी क्षेत्र मिलकर नर्सिंग के क्षेत्र को मज़बूत बनाने की दिशा में ठोस प्रयास करें। हमें नर्सिंग शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण, सुलभ और तकनीक-समर्थ बनाना होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी नर्सें केवल सेवा नहीं करें, बल्कि उन्हें सम्मान, अधिकार और अवसर भी मिलें।
आज जब हम अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मना रहे हैं, तो यह केवल एक औपचारिकता नहीं होनी चाहिए। यह एक संकल्प का दिन बनना चाहिए—संकल्प इस बात का कि हम नर्सों के योगदान को केवल तालियों और पोस्टरों तक सीमित नहीं रखेंगे, बल्कि उनकी सामाजिक स्थिति, आर्थिक सुरक्षा और पेशागत गरिमा के लिए ठोस कदम उठाएंगे।
अंत में, आइए हम सभी नर्सों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करें—उन हाथों के लिए जो जीवन देते हैं, उन आँखों के लिए जो दुःख समझती हैं, और उस हृदय के लिए जो हर धड़कन में सेवा, समर्पण और करुणा का पाठ पढ़ाता है।