जौली ग्रांट( अंकित तिवारी): 85 वर्षीय त्रिलोक चंद ने लगभग तीन दशक तक रामलीला में रावण का किरदार निभाकर दर्शकों के दिलों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। जब त्रिलोक चंद रावण के रूप में रामलीला के मंच पर प्रवेश करते थे, तो उनकी कड़क आवाज और बलशाली व्यक्तित्व से पूरा मंच थर्रा उठता था, और दर्शक उनकी एक झलक पाने के लिए लालायित रहते थे।
त्रिलोक चंद का अभिनय के प्रति प्रेम बचपन से ही था। मात्र 25 वर्ष की उम्र में वे शिक्षक बन गए थे, और जहां-जहां भी उनकी सेवाएं रहीं, वहां रामलीला मंचन का आरंभ कराया। 1955 में जौली ग्रांट में जब रामलीला की शुरुआत हुई, तभी से त्रिलोक चंद ने रावण की भूमिका निभाना प्रारंभ किया और करीब तीन दशकों तक इस किरदार को अपनी अद्वितीय शैली से वंत बनाए रखा।
त्रिलोक चंद के परिवार में भी अभिनय का जुनून जारी है। उनके परिवार से अब बाबूलाल रावण का किरदार निभा रहे हैं, जबकि उनके पुत्र सुरेश चंद रामलीला के डायरेक्टर की भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। त्रिलोक चंद ने हंसते हुए बताया कि जब वे रामलीला में रावण का किरदार निभाते थे, तो उनकी पत्नी उन्हें टोकती थीं कि हम तो राम को मानने वाले हैं और आप रावण का किरदार निभा रहे हैं। इस पर त्रिलोक चंद समझाते थे कि वे भी राम भक्त हैं और रावण का किरदार निभाना सिर्फ एक अभिनय है।
अपने गुरु मंगल सिंह को याद करते हुए त्रिलोक चंद ने बताया कि वे उनके विद्यालय में प्रधानाध्यापक रहे और अपने गुरु का हमेशा सम्मान करते थे। गुरु भी उन्हें प्रणाम करते थे, यह कहते हुए कि वे प्रधानाध्यापक की कुर्सी को प्रणाम कर रहे हैं, जो उनका कर्तव्य है।
आज भी 85 वर्ष की उम्र में जब त्रिलोक चंद रावण के संवाद बोलते हैं, तो उनकी आवाज की वही जादुई खनक और शरीर की फुर्ती बरकरार है। उनका हंसमुख स्वभाव और सादगी भरा वन आज भी सभी के लिए प्रेरणा है। बुजुर्ग सेवानिवृत्त शिक्षक और कलाकार त्रिलोक चंद को नमन, वंदन और अभिनंदन।