लेखक गाँव(अंकित तिवारी): देश के पहले लेखक गाँव थानो में स्पर्श हिमालय फाउंडेशन द्वारा आयोजित ‘‘स्पर्श हिमालय महोत्सव-2024’’ भारतीय साहित्य, संस्कृति, और कला की समृद्ध धरोहर का प्रतीक बन गया है। इस ऐतिहासिक आयोजन में उत्तराखण्ड के पहले ‘‘लेखक गाँव’’ का उद्घाटन हुआ, जहाँ लेखक और विचारक प्रकृति के सानिध्य में सृजनात्मक चिंतन की स्वतंत्रता प्राप्त कर सकते हैं। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जैसे सम्मानित हस्तियों की उपस्थिति ने इस महोत्सव की गरिमा को और भी बढ़ा दिया।
‘‘लेखक गाँव’’ का यह अनूठा आयोजन न केवल साहित्यकारों को प्रेरणा प्रदान करेगा, बल्कि इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यहाँ लेखक कुटीर, संजीवनी वाटिका, नक्षत्र और नवग्रह वाटिका, पुस्तकालय, और गंगा व हिमालय संग्रहालय जैसी संरचनाओं ने इसे एक सम्पूर्ण साहित्यिक तीर्थ बना दिया है। राज्यपाल गुरमीत सिंह ने इस पहल को रचनात्मक युवाओं के लिए एक सशक्त मंच बताते हुए इसे उत्तराखण्ड की धरोहर को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल बताया।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ‘‘लेखक गाँव’’ की परिकल्पना के लिए डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को विशेष रूप से सराहा। उन्होंने इसे लेखकों की व्यावहारिक कठिनाइयों को दूर करने की दिशा में एक अभिनव पहल बताते हुए इसे भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बनने की ओर इशारा किया। उनका यह कथन कि “लेखन के माध्यम से एक अद्भुत शक्ति है जो समाज को प्रेरित कर सकती है,” इस पहल की सार्थकता को उजागर करता है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड का यह ‘‘लेखक गाँव’’ प्रदेश की अद्भुत रचनात्मकता और सृजनशीलता का प्रतीक है। यहाँ का शांत और सुरम्य वातावरण लेखकों को सृजन के लिए एक आदर्श स्थान प्रदान करता है। उन्होंने इस प्रकार के मंच को राज्य की साहित्यिक और सांस्कृतिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण बताया। इसके साथ ही, राज्य सरकार द्वारा साहित्यिक सृजन को प्रोत्साहन देने के लिए ‘‘उत्तराखण्ड साहित्य गौरव सम्मान’’, ‘‘साहित्य भूषण’’ और ‘‘लाइफ टाइम अचीवमेंट’’ जैसे पुरस्कारों की घोषणा भी साहित्यकारों के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
भारतीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने एआई के दौर में चिंतन, मनन, और स्वयं की खोज को प्रासंगिक बताते हुए ‘‘लेखक गाँव’’ जैसे स्थानों की महत्ता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि ऐसे एकांत और सृजनात्मक वातावरण में लेखकों को आत्म-साक्षात्कार का सजीव अनुभव प्राप्त होता है।
जूना पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी ने इस महोत्सव को एक विशेष पहल बताते हुए इसे साहित्यिक और सांस्कृतिक मूल्यों के प्रसार में सहायक बताया। उन्होंने पुस्तकों और लेखन के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे जीवन का अभिन्न अंग बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया।
डॉ. रमेश पोखरियाल ‘‘निशंक’’ के नेतृत्व में स्पर्श हिमालय फाउंडेशन द्वारा आयोजित यह महोत्सव न केवल उत्तराखण्ड बल्कि सम्पूर्ण भारत के लिए गौरव का विषय है। 40 से अधिक देशों के साहित्यकारों, कलाकारों और विचारकों का एकत्रित होना इस आयोजन की व्यापकता और इसके प्रति अंतरराष्ट्रीय आकर्षण को दर्शाता है। ‘‘लेखक गाँव’’ जैसे स्थान भारत के साहित्य और संस्कृति को नई ऊँचाइयों पर ले जाने की क्षमता रखते हैं। इस महोत्सव के माध्यम से साहित्य, कला और संस्कृति के विविध रंगों को संरक्षित और सशक्त बनाते हुए भारत की सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध करने का संकल्प दोहराया गया है।
निष्कर्षतः, ‘‘स्पर्श हिमालय महोत्सव-2024’’ ने साहित्यिक और सांस्कृतिक जागरूकता का नया अध्याय लिखा है। यह आयोजन न केवल उत्तराखण्ड की धरती पर रचनात्मकता का संचार करेगा बल्कि साहित्य, संस्कृति, और कला के माध्यम से भारतीय धरोहर को संजोए रखने में सहायक सिद्ध होगा।