देहरादून//रायपुर//शमशेरगढ़
“त्रिष्ठव बडोनी” एक ऐसा उभरता हुआ कलाकार है जो एक साथ ढोल दमाऊं बजाने में महारत हासिल कर चुका है। गीत संगीत की दुनिया का यह चमकता हुआ सितारा उत्तराखंड की शान है।
त्रिष्ठव बडोनी तबला वादन में महारत हासिल कर चुके हैं और अब ढोल – दमाऊं एक साथ बजाने का योग्य गुरुओं के पास निरंतर अभ्यास कर रहे हैं।
*उत्तम दास जी ही शायद संभवत: अब तक ऐसे कलाकार हैं जो एक साथ ढोल दमाऊं दोनों को बजाते रहे हैं।* उनके बाद कुछ और कलाकार भी उंगली पर गिने चुने ही इस विधा में महारत हासिल कर पाए हैं। *इसी क्रम में त्रिष्ठव बडोनी का नाम आज हर जुबां पर है।*
आपके कार्यक्रम महाराष्ट्र के नासिक और गुरुग्राम सहित राजधानी देहरादून में विभिन्न स्थानों पर अभी तक हो चुके हैं और आपकी गीत संगीत की दुनिया आपको बहुत आगे तक ले जाएगी।
बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ तो त्रिष्ठव ने ढोल को पहाड़ से प्रेम का प्रतीक बताया। *आपने भरपूर दास जी, उत्तम दास जी और शिवजनी जी से* इस वाद्य यंत्र की बारीकियां सीखी हैं।
*नई पीढ़ी का वाद्य यंत्रों के प्रति यह स्नेह और सम्मान निश्चित रूप से एक आशा की किरण जगाता है।*
त्रिष्ठव बडोनी जी गीत संगीत के प्रति पूर्ण समर्पित हैं। आपका वाद्य यंत्रों के वादन के लिए जुनून है। धीर गंभीर स्वभाव वाले युवा कलाकार त्रिष्ठव बडोनी जी जहां एक ओर अकादमिक स्तर पर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं वहीं वे *गीत संगीत और वाद्य यंत्रों के मर्मज्ञ उत्तराखंडी कलाकारों के सानिध्य में* व्यावहारिक प्रशिक्षण भी प्राप्त कर रहे हैं।
*शुभकामनाएं! त्रिष्ठव बडोनी जी।* ढोल उत्तराखंड का राज्य वाद्य यंत्र है इसे देश दुनिया के हर कोने में पहुंचाने और मान सम्मान दिलाने में आप अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।