देहरादून(अंकित तिवारी): उत्तराखंड के स्थापना दिवस पर प्रदेशवासियों के नाम अपने संदेश में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने उत्तराखंड की प्राकृतिक छटा, आध्यात्मिक धरोहर और शौर्य परंपरा का स्मरण करते हुए सभी राज्यवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने राज्य निर्माण में शहीद हुए आंदोलनकारियों को नमन करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
डॉ. निशंक ने अपने संदेश में उत्तराखंड की भूमि को ऋषियों और आचार्यों की तपस्थली बताते हुए इसे भारतीय आध्यात्मिक परंपरा का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड में वीरता, शौर्य और पराक्रम की गाथाएं समाहित हैं, जो इस भूमि को भारत की शौर्य परंपरा का प्रतिनिधि बनाती हैं। इस अवसर पर उन्होंने उन क्रांतिकारियों को पुण्यस्मरण करने की बात कही, जिन्होंने राज्य की स्थापना के लिए अपना बलिदान दिया।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की हर घर से एक सैनिक देश की सीमा पर तैनात है, जो यहां की उत्सर्ग भावना को दर्शाता है। इस वीरता की परंपरा में यहां की नारी शक्ति भी प्रमुख भूमिका निभा रही है। उत्तराखंड की विशेष सांस्कृतिक पहचान पर बल देते हुए, उन्होंने प्रदेश के युवाओं से अपील की कि वे चाहे दुनिया के किसी भी कोने में प्रगति करें, पर अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहें और इन्हें मजबूत बनाएं।
अंत में, डॉ. निशंक ने प्रदेशवासियों से संकल्प लेने का आह्वान किया कि कड़ी मेहनत, समर्पण और संकल्प के साथ वे अपने प्रिय उत्तराखंड को भारत का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने में अपना योगदान देंगे।