ऋषिकेश(अंकित तिवारी): अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के कॉलेज ऑफ नर्सिंग में फोरेंसिक नर्सिंग पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें विशेषज्ञों ने विद्यार्थियों को इस महत्वपूर्ण विषय के गूढ़ पहलुओं से परिचित कराया। इस संगोष्ठी में विद्यार्थियों को समझाया गया कि फोरेंसिक नर्सिंग न केवल पीड़ितों की देखभाल में बल्कि अपराधियों को न्याय के कटघरे तक पहुंचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस संगोष्ठी का आयोजन एम्स की कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ प्रो. डॉ. मीनू सिंह के मार्गदर्शन में किया गया।
उद्घाटन सत्र में संकायाध्यक्ष अकादमिक प्रो. डॉ. जया चतुर्वेदी, चिकित्सा अधीक्षक प्रो. डॉ. संजीव कुमार मित्तल और नर्सिंग प्राचार्य प्रो. डॉ. स्मृति अरोड़ा ने विशेष रूप से शिरकत की। इस अवसर पर विशेषज्ञों ने बताया कि फोरेंसिक नर्सिंग उन मामलों में एक सेतु का कार्य करती है, जो चिकित्सा देखभाल और न्यायिक प्रक्रिया के बीच की खाई को पाटने में सहायक होती है।
प्रमुख वक्ताओं में आईक्यू सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग साइंसेज, दुर्गापुर, पश्चिम बंगाल की प्रिंसिपल डॉ. जयदीपा आर. ने फोरेंसिक नर्सिंग के वैश्विक और भारतीय परिदृश्य पर व्याख्यान दिया।
एम्स ऋषिकेश के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. आशीष भूटे ने ‘पीड़ित और आरोपी के अधिकार’ विषय पर जानकारी दी। वहीं, एमवीएएसएमसी उत्तर प्रदेश के सहायक प्रोफेसर डॉ. अरिंदम चटर्जी ने ‘पीड़ित की जांच और साक्ष्य संरक्षण’ पर सत्र आयोजित किया। संस्थान के फोरेंसिक मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. बिनय कुमार बस्तिया ने भारतीय न्याय प्रणाली और फोरेंसिक से संबंधित कानूनी प्रक्रिया पर प्रकाश डाला।
संगोष्ठी में विद्यार्थियों ने पूरे उत्साह के साथ भाग लिया और विशेषज्ञों से फोरेंसिक नर्सिंग से जुड़े प्रश्न पूछे। संगोष्ठी का समापन सह-आयोजन सचिव डॉ. ज्योति शौकीन द्वारा सभी विशेषज्ञों का धन्यवाद ज्ञापित कर किया गया।