उत्तराखंड

कुमाऊं के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों का छात्रों ने किया विश्लेषण

कर्णप्रयाग(अंकित तिवारी): डॉ. शिवानंद नौटियाल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, कर्णप्रयाग (चमोली) के बी.ए. पंचम सेमेस्टर भूगोल विभाग के छात्रों की 25 सदस्यीय टीम ने भूगोल विभाग प्रभारी डॉ. आर.सी. भट्ट, डॉ. बी.सी.एस. नेगी और डॉ. नेहा तिवारी पांडेय के निर्देशन में कुमाऊँ मंडल के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों का तीन दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण किया।

इस भ्रमण के दौरान छात्रों ने बागेश्वर और अल्मोड़ा जिलों में स्थित चाय बागानों, बैजनाथ मंदिर और बैजनाथ के प्राचीन मंदिरों का अध्ययन किया। उल्लेखनीय है कि बैजनाथ मंदिर भारत सरकार की स्वदेश दर्शन योजना के तहत ‘शिव हेरिटेज’ में शामिल है।

भ्रमण के दौरान छात्रों ने कौसानी के हिमालयी दृश्यों का अध्ययन किया और प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत तथा अनासक्ति आश्रम से जुड़ी जानकारी प्राप्त की। अल्मोड़ा में चितई गोलू देवता और जोगेश्वर धाम के दर्शन के साथ-साथ अल्मोड़ा शहर का भी अध्ययन किया।

भौगोलिक भ्रमण के तहत छात्रों ने प्राथमिक और द्वितीयक आंकड़ों का संग्रह करते हुए क्षेत्र की धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और भौगोलिक विशेषताओं पर अध्ययन किया। जलवायु परिवर्तन के पहलुओं पर भी ध्यान केंद्रित किया गया।

महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. बी.एन. खाली ने कहा कि शैक्षणिक भ्रमण से छात्रों का भौगोलिक ज्ञान बढ़ता है और क्षेत्रीय तथ्यों की वास्तविक जानकारी प्राप्त होती है। भूगोल विभाग प्रभारी डॉ. आर.सी. भट्ट ने बताया कि शैक्षणिक भ्रमण छात्रों के सर्वांगीण विकास में अहम भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि इस भ्रमण के दौरान छात्रों ने जो आंकड़े एकत्रित किए हैं, वे अपनी रिपोर्ट तैयार कर प्रयोगात्मक परीक्षा में प्रस्तुत करेंगे।

छात्रों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि भ्रमण से उन्हें हिमालय पर्वत श्रृंखला, क्षेत्रीय जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधनों, स्थानीय परंपराओं, कला और संस्कृति के बारे में विस्तृत जानकारी मिली। साथ ही, स्थानीय भाषा, पहनावा और खानपान को समझने का भी अवसर मिला।

इस शैक्षणिक भ्रमण में महाविद्यालय की छात्राएँ आदिति, मुस्कान सती, महक, निशा, प्रियंका, चांदनी, नीलाक्षी, शशि, रोशनी, रिया, ऋतिका और छात्र वर्ग से अंकित कुमार, साहिल, दिव्याशु, विवेक नेगी, दीपक सिंह, साहिल नेगी, विपिन विष्ट, अभिषेक सिंह और समीर सम्मिलित रहे।

इस भ्रमण ने न केवल छात्रों के शैक्षणिक और शोध कौशल को बढ़ावा दिया, बल्कि उनके व्यक्तित्व विकास में भी योगदान दिया।

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