सामाजिक

“युवा पीढ़ी की दिशाहीनता और अभिभावकों की ज़िम्मेदारी”

उत्तराखंड(अंकित तिवारी):आज की युवा पीढ़ी एक ऐसे दौर से गुज़र रही है जहाँ तकनीकी उन्नति के साथ-साथ सामाजिक, सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों का विघटन भी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। एक समय था जब बच्चे बाहर की चुनौतियों से ज़्यादा अपने अभिभावकों के अनुशासन और सख्ती से डरते थे। लेकिन वर्तमान समय में इस स्थिति में भारी परिवर्तन आया है। अब बच्चों में अभिभावकों का भय, अनुशासन या मार्गदर्शन का प्रभाव पहले जैसा नहीं रहा। बल्कि, अभिभावक अपने बच्चों की हर छोटी-बड़ी गलती को सही ठहराते हुए उन्हें संरक्षण दे रहे हैं, जो कि समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है।

अभिभावकों की भूमिका और युवाओं का बदलता रवैया
प्रो०(डॉ) शांति प्रकाश सती कहते है कि परिवार बच्चों का पहला विद्यालय होता है और माता-पिता उनके पहले शिक्षक। यह कहना गलत नहीं होगा कि बच्चों का व्यवहार और सोच परिवार में सीखी गई मूल्यों पर निर्भर करती है। परंतु वर्तमान समय में अभिभावकों की भूमिका में बड़ा बदलाव आया है। बहुत से अभिभावक अब अपने बच्चों की गलतियों पर उन्हें समझाने और अनुशासित करने के बजाय उनकी गलतियों को नज़रअंदाज कर देते हैं या उनका समर्थन भी कर देते हैं। इससे बच्चों में अनुशासनहीनता, ज़िम्मेदारी की कमी, और नकारात्मक प्रवृत्तियों का विकास होता है।

ड्रग्स और नशे का बढ़ता प्रचलन

प्रो० सती कहते है कि आज का युवा वर्ग न केवल तकनीकी क्षेत्र में, बल्कि नशे की दलदल में भी उलझता जा रहा है। ड्रग्स और अन्य नशों का प्रचलन युवा पीढ़ी में तेजी से बढ़ा है, जो उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल रहा है। नशे की इस लत ने न केवल उनके जीवन को तबाह किया है, बल्कि समाज में अपराध, हिंसा, और अव्यवस्था को भी बढ़ावा दिया है। युवा पीढ़ी के इस संकट से समाज और देश दोनों को गहरी हानि हो रही है।

समाधान: अभिभावकों और समाज की संयुक्त ज़िम्मेदारी
पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर ऋषिकेश के रसायन विज्ञान के प्रो० (डॉ) शांति प्रकाश सती के अनुसार इस परिस्थिति में सुधार के लिए आवश्यक है कि अभिभावक अपने बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को पुनः समझें। बच्चों के हर गलत काम को सही ठहराने के बजाय उन्हें सही और गलत का अंतर सिखाने का प्रयास करें। इसके साथ ही, शिक्षण संस्थानों और समाज के अन्य घटकों को भी इस दिशा में पहल करनी होगी। युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य, उनके मूल्यों और अनुशासन को सुदृढ़ करने के लिए परिवार, शिक्षक, और समाज का संयुक्त प्रयास अनिवार्य है।

समाज को चाहिए कि वह नशे के विरुद्ध जागरूकता फैलाए और युवाओं को सकारात्मक जीवन की ओर प्रेरित करे। इसके लिए युवाओं के साथ खुलकर बातचीत करना, उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन देना और अच्छे उदाहरण प्रस्तुत करना महत्वपूर्ण है। अगर आज हम सही दिशा में ठोस कदम उठाते हैं, तो यकीनन आने वाली पीढ़ी एक उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करेगी।

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